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भारत की समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ ग्रामीण रोजगार अवसरों में भी वृद्धि होगी।
यकीनन वर्ष 2021 में देश से कृषि उत्पादों और मसालों के अधिकतम निर्यात का सुकूनदेह परिदृश्य दिखाई दिया है। हाल ही में अरब-ब्राजील चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार भारत 22 अरब राष्ट्रों की लीग के लिए ब्राजील व अन्य देशों को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़ा कृषि निर्यातक देश बन गया है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की वैश्विक कृषि व्यापार रुझान रिपोर्ट-2021 के मुताबिक, दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है। देश के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
कोविड-19 की आपदाओं के बीच जहां भारत ने दुनिया के जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतें पूरी करने में अहम भूमिका निभाई है, वहीं दुनिया भर में कृषि निर्यात बढ़ाने का अवसर भी हासिल किया है। भारत से अनाज, गैर-बासमती चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के अलावा फलों एवं सब्जियों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। भारत के कृषि उत्पादों के बड़े बाजारों में अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया, नेपाल, ईरान और मलयेशिया शामिल हैं। कई छोटे देशों के बाजार भी भारत की मुट्ठियों में आए हैं।
खाड़ी देशों द्वारा वर्ष 2020 में आयात किए गए कुल कृषि उत्पादों में भारत की हिस्सेदारी 8.25 प्रतिशत रही, जो वर्षों से पहले स्थान पर रहे ब्राजील की 8.15 प्रतिशत की हिस्सेदारी के अधिक है। चीन ने भी भारत से चावल व कई अन्य प्रकार के कृषि उत्पाद का बड़ी मात्रा में आयात शुरू किया है। विश्व बाजार में पिछले दो वर्षों में भारत के मसालों की खुशबू की धमक बहुत अधिक बढ़ी है। मिर्च, अदरक, हल्दी और जीरे वाली फसलों का निर्यात शानदार रहा है। चूंकि देश में मसाले की खेती में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया, इसलिए इसका असर वैश्विक बाजार में मसालों के निर्यात पर पड़ा है। वर्ष 2020-21 में मसालों का उत्पादन बढ़कर 1.07 टन हो गया है। मसाला निर्यात से वर्ष 2020-21 में कुल 29,535 करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई, जबकि वर्ष 2014-15 में मसाले के निर्यात से मात्र 14,899 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा मिली थी।
भारत द्वारा कृषि निर्यात में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने की कई वजहें हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, सरकार ने नई कृषि निर्यात नीति के तहत ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया है। निर्यात किए जाने वाले कृषि जिंसों के उत्पादन व घरेलू दाम में उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए कृषि उत्पादों के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया गया
है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश से 41.25 अरब डॉलर मूल्य के कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का निर्यात किया गया। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि निर्यात बढ़कर 43 अरब डॉलर के स्तर को भी पार कर सकता है।
सरकार ने कृषि निर्यात के लिए 13 देशों के भारतीय दूतावासों में कृषि सेल का गठन किया है। कृषि निर्यात बढ़ाने में भारत के कृषि, अनुसंधान और कृषि मानकों के खाद्यान्न, ताजे फल और सब्जियां, प्रसंस्कृत उत्पाद आदि से संबंधित करीब 130 भौगोलिक संकल्प (जीआई) की वैश्विक मान्यताओं से कृषि निर्यातकों को लाभान्वित करना होगा। देश से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने जो 10,900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, उसका समुचित उपयोग करना होगा।
उम्मीद करें कि देश से चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि निर्यात के 43 अरब डॉलर के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया जाएगा तथा कृषि निर्यात बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही इससे ग्रामीण भारत की समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ ग्रामीण रोजगार अवसरों में भी वृद्धि होगी।
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