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- हंगामे से हासिल

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान । संसद सत्र का तय समय से पहले स्थगित हो जाना न केवल अफसोस, बल्कि चिंता की भी बात है। लोकसभा की बैठक बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई, तो इसके लिए संसद में पैदा गतिरोध को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा। पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग सहित अन्य कुछ मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे और सत्ता पक्ष के हठ के कारण पूरे सत्र में सदन का कामकाज प्रभावित हुआ है और सिर्फ 22 प्रतिशत काम ही हो सका। आम लोगों के मन में यह सवाल वाजिब ही उठेगा कि क्या हमने सांसदों को केवल 22 प्रतिशत काम के लिए भेजा है? दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद का यह व्यवहार क्या प्रशंसनीय है? भारतीय लोकतंत्र की तारीफ करने वाले बहुत लोग मिलेंगे, पर क्या ऐसी ही तारीफ भारतीय संसद की भी हो सकती है? लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई, 2021 को शुरू हुई थी और इस दौरान हुई 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट ही कामकाज हुआ। उन्होंने माना कि सदन में कामकाज अपेक्षा मुताबिक नहीं रहा, तो उपाय क्या है, कौन करेगा?
