सम्पादकीय

बेतुके बयान

Subhi
28 Oct 2022 5:30 AM GMT
बेतुके बयान
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यहां तक कि वे मजाक तो अपने प्रतिद्वंद्वी का बनाना चाहते हैं, मगर हंसी का पात्र वे खुद बन जाते हैं। फिर भी खुद को सही साबित करने की जिद नहीं छोड़ते। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ भी केंद्र सरकार की खिल्ली उड़ाने की कोशिश में यही हो रहा है।

Written by जनसत्ता: यहां तक कि वे मजाक तो अपने प्रतिद्वंद्वी का बनाना चाहते हैं, मगर हंसी का पात्र वे खुद बन जाते हैं। फिर भी खुद को सही साबित करने की जिद नहीं छोड़ते। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ भी केंद्र सरकार की खिल्ली उड़ाने की कोशिश में यही हो रहा है।

डालर के मुकाबले रुपए की गिरती कीमत को लेकर केंद्र पर तंज कसते हुए उन्होंने कह डाला कि अब देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए देवी-देवताओं के आशीर्वाद की जरूरत है। इसके लिए भारतीय नोटो पर गांधी जी की तस्वीर के साथ लक्ष्मी और गणेश का चित्र भी छापना शुरू कर देना चाहिए। इस तरह रुपए पर उनकी कृपा बनी रहेगी।

अपनी बात में वजन डालने के लिए उन्होंने इंडोनेशिया के रुपए पर गणेश जी की तस्वीर छापने का उदाहरण भी दे दिया। स्वाभाविक ही उनके इस बयान को लेकर भाजपा को निशाना साधने का मौका मिल गया है। वह चुन-चुन कर उनके वे सारे बयान गिना रही है, जब केजरीवाल ने ऐसे प्रयासों के लिए भाजपा का विरोध किया था।

गुजरात के विधानसभा और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में आम आदमी पार्टी भाजपा को पटखनी देने के दावे कर रही है। इस तरह वह केंद्र सरकार की सारी नाकामियां गिनाती फिर रही है। इसी क्रम में केजरीवाल ने रुपए की हालत को मुद्दे के रूप में उठा लिया। मगर वे अर्थव्यवस्था को लेकर बात करते, तो शायद उतनी अटपटी न लगती, जितनी रुपए के स्वरूप को बदलने की उनकी सलाह लगी।

छिपी बात नहीं है कि आम आदमी पार्टी भाजपा को उसके ही हथियार से हराना चाहती है। इसी कोशिश में केजरीवाल बार-बार खुद को भाजपा से अधिक राष्ट्रवादी और हिंदू हितैषी साबित करने का प्रयास करते दिखते हैं। पूरी दिल्ली में तिरंगा लगाने का मामला हो या फिर बुजुर्गों को तीर्थयात्रा पर भेजने का, हर मंच से इन्हें अपनी बड़ी उपलब्धियों में गिनाते रहे हैं।

रुपए पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर छापने की सलाह भी उन्होंने इसी मंशा से दी कि इस तरह वे हिंदू वोटों को अपने पक्ष में कर सकेंगे। ऐसा नहीं माना जा सकता कि उन्हें इस बात की समझ न हो कि भारतीय रुपए पर किसी देवी-देवता की तस्वीर न छापने के पीछे मकसद क्या है। हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर बल देता है।

यह ठीक है कि चुनावी माहौल में मतदाता चुटीले बयानों को देर तक याद रखते हैं। मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं लगाया जा सकता कि इसका लाभ उठाने के लिए बेतुके बयान दिए जाएं। अरविंद केजरीवाल मुफ्त की सेवाओं का दावा कर जनमत अपने पक्ष में करने का नुस्खा लंबे समय से आजमाते आ रहे हैं। इससे लोग प्रभावित भी हैं, फिर उन्हें ऐसी क्या मजबूरी हो गई कि धार्मिक भावनाओं से खेलना शुरू कर दिया।

क्या वास्तव में आम आदमी पार्टी के अपने मूलभूत सिद्धांतों से यह बयान कहीं मेल खाता है, जिसका सहारा उन्होंने लेना शुरू किया है। यह बयान देकर उन्होंने भाजपा को तो घेरने का मौका दे ही दिया है, दूसरे धर्मों और आस्था के लोगों या फिर पंथनिरपेक्ष मतदाताओं को नाराज करने का ही काम किया है। सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी दांव चल देना न सिर्फ लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है, बल्कि पार्टी की सैद्धांतिक जमीन पर भी सवाल खड़े करता है।


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