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सम्पादकीय
8 Years of Modi Government: क्यों मोदी को हराना विपक्ष के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है?
Gulabi Jagat
26 May 2022 8:27 AM GMT
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बीजेपी का फिलहाल भविष्य सुनिश्चित दिख रहा है
अजय झा |
वृहस्पतिवार को भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा. 26 मई, 2014 को भारत की राजनीति में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का सूर्यास्त हो गया और केंद्र में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ. वैसे तो पूर्व में भी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी (BJP) की सरकार बनी और चली भी थी, पर वाजपेयी सरकार अपने सहयोगी दलों के समर्थन से चली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस मिथ्या का अंत हो गया कि भारत में किसी एक दल की सरकार बनना अब संभव नहीं है. 1989 से इसकी शुरुआत हुयी और लगातार 25 वर्षों तक केंद्र में मिलीजुली सरकार ही चली थी.
इंदिरा गांधी की हत्या के कारण सहानुभूति वोट के आधार पर आखिरी बार 1984 में कांग्रेस पार्टी की बहुमत सरकार बनी थी. 26 मई, 2014 को तीन दशकों के बाद किसी पार्टी ने बहुमत सरकार का गठन किया था. जहां कांग्रेस पार्टी पर सूर्यास्त के बाद ग्रहण सा लग गया, बीजेपी का ऐसा सूर्योदय हुआ कि आठ वर्षों के बाद भी उसकी चमक-दमक से बीजेपी के विरोधियों की आंखें चौंधिया रही हैं.
जब 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आयी तो उस समय बीजेपी की सरकार मात्र सात राज्यों तक ही सीमित थी, और कांग्रेस पार्टी की सरकार 13 प्रदेशों में थी. आठ वर्षों के पश्चात जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार सिर्फ दो राज्यों में ही बची है, और दो अन्य प्रदेशों की सरकार में इसकी साझेदारी है, बीजेपी और इसके सहयोगी दल 18 राज्यों में सत्ता में है जिसमे से 12 राज्यों में बीजेपी अपने दम पर सरकार में है और इसके सहयोगी दल 6 प्रदेशों में सरकार चला रहे हैं. बीजेपी और नरेन्द्र मोदी का जादू अभी भी भारत के मतदाताओं पर ना ही अभी तक बरक़रार है, बल्कि लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
कांग्रेस पार्टी दो बार राहुल गांधी के नाम पर चुनाव लड़ी और हार चुकी है
ऐसा भी नहीं है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार बनते ही भारत में रामराज्य आ गया. ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां सरकार विफल ही रही है, सरकार के खिलाफ लोगों का रोष भी दिखा है, जिसमें महंगाई और बेरोजगारी सबसे ऊपर है. लोग त्रस्त हैं पर फिर भी वोट बीजेपी को ही दे रहे हैं. कृषि कानूनों का जम कर विरोध हुआ, आन्दोलन लम्बा चला पर जब चुनाव आया तो पांच में से चार राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी. विरोधी दल अचंभे में हैं कि आखिर ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है, क्यों महंगाई और बेरोजगारी के गुस्से का प्रभाव चुनावों पर नहीं पड़ रहा है. बावजूद इसके कि वाजपेयी सरकार से सभी खुश थे पर एक गलत नारा शाइनिंग इंडिया के कारण बीजेपी 2004 में चुनाव हार गयी. पर अब नरेन्द्र मोदी सरकार पर विफलताओं का असर नहीं हो रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है, अगर उन्हें इसका जवाब विपक्ष को पता होता तो फिर उनकी वापसी का रास्ता प्रशस्त हो गया होता. हो भी कैसे जबकि उनकी आंखों पर काला चश्मा जो लगा हुआ है. चलिए हम समझने की कोशिश करते हैं कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है.
इसके दो प्रमुख कारण है, मोदी के विकल्प का आभाव और विपक्ष की नकारात्मक राजनीति. वाजपेयी स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से सन्यास ले चुके थे और बीजेपी को लगने लगा था कि लाल कृष्णा अडवाणी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में जब 1991, 1996 और 2009 में असफल रहे थे तो उनके नाम पर 2014 में एक बार फिर से चुनाव लड़ना एक जुआ खेलने जैसा होगा. लिहाजा बीजेपी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, जिनके नेतृत्व में बीजेपी प्रदेश में लगातार तीन बार चुनाव जीत चुकी थी, अपना प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किया और अब स्थिति यह है कि विपक्ष भी मानती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के होते हुए उनकी जीत असंभव है. वहीँ दूसरी तरह अगर विपक्ष पर नज़र डालें तो वहां वहीँ नेता सामने दिखते हैं जिन्हें जनता ने या तो नकार दिया है या फिर उनके नाम पर लोकसभा चुनाव जीतना कठिन है क्योंकि उनकी लोकप्रियता उनके प्रदेशों तक ही सीमित है.
कांग्रेस पार्टी दो बार राहुल गांधी के नाम पर चुनाव लड़ी और हार चुकी है, पर पार्टी अभी भी किसी और नेता में नाम पर विचार तक नहीं कर रही है. एनसीपी हो, समाजवादी पार्टी हो या फिर राष्ट्रीय जनता दल सभी दलों में या तो वही नेता हैं हो पूर्व में मोदी के खिलाफ विफल रहे था या फिर अब उनके परिवार के किसी नेता अब पार्टी के चेहरा बन चुके हैं. चाहे वह शरद पवार हों या फिर ममता बनर्जी, उनकी लोकप्रियता उनके प्रदेशों तक ही सीमित है. तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के बाहर और एनसीपी महाराष्ट्र के बाहर असफल साबित हुयी है. वामदलों की हालत तो कांग्रेस पार्टी से भी ज्यादा खस्ता है. अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता भी मुख्यमंत्री बनाने से कतरा रही है. विपक्ष ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की कि ऐसे किसी नए नेता को मौका दे जो मोदी की तरह कोई जादू कर सके. ऐसा भी नहीं है कि विपक्षी दलों में प्रतिभाशाली नेताओं का अभाव है, पर परिवारवाद से लिप्त इन दलों में किसी और को आगे आने का मौका ही नहीं दिया जाता.
बीजेपी का फिलहाल भविष्य सुनिश्चित दिख रहा है
अब जब ऐसे नेता हो पूर्व में विफल हो चुके हैं पर उम्मीद के सहारे जिन्दा हैं कि एक ना एक दिन जनता का गुस्सा मोदी के खिलाफ फूट पड़ेगा और उनकी सत्ता में वापसी हो जाएगी, पर जब ऐसा होता दिख नहीं रहा है तो उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा है. जिस कारण उनकी सोच ही नकारात्मक हो चुकी है. मोदी को राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी अपना विरोधी नहीं मान कर शत्रु मानती है. वह सरकार का विरोध कम या मोदी पर ज्यादा निशाना साधते दिखते हैं, जिससे जनता भी ऊब चुकी है. भारत के मतदाताओं को पता है कि भले ही मोदी सरकार महंगाई और रोजगार के मुद्दों पर आशातीत सफल नहीं रही है, पर मोदी उसके दोषी नहीं हैं. करोना महामारी भारत में फिर भी आता और फैलता भी चाहे सरकार किसी की होती. मोदी अगर भारत के प्रधानमंत्री नहीं भी होते तो भी रूस यूक्रेन पर हमला करता ही और इस कारण पेट्रोलियम की कीमत बढ़ती ही.
भारत की जनता अब समझदार हो चुकी है, भारत अब अनपढ़ों और अज्ञानियो का देश नहीं है. इन मुद्दों की आड़ में मोदी पर हमला करने से विपक्ष को कोई फायदा नहीं हो रहा है. उनका फायदा तब होता जब वह जनता को यह बताने में सफल रहते कि अगर उनकी सरकार होती तो इन समस्याओं से वह मोदी से बेहतर कैसे निपटते. पर विपक्षी दलों के पास नीति और योजना का अभाव है, और सोच सीमित. उनकी हालत ऐसी है जैसे कि कोई आलसी व्यक्ति आम के पेड़ के नीचे मुंह खोल कर बैठा हो कि कभी ना कभी पका हुआ फल उनकी मुहं में गिरेगा ही. इस नीति से पूर्व में उनकी जीत हो गयी हो पर अब ऐसा होता दिख नहीं रहा है. जबतक विपक्ष में नये नेता और नये सोच का अभाव रहेगा, मोदी के नेतृत्व में 2024 में बीजेपी की विजय सुनिश्चित है.
अगर मोदी जवाहरलाल नेहरु और इंदिरा गांधी, जो क्रमशः 16 वर्ष 287 दिन और 15 वर्ष 350 दिन प्रधानमंत्री रहे थे, का रिकॉर्ड तोड़ दें तो किसी को ताजुब्ब नहीं होना चाहिए. ऐसा होना इसलिए संभव है कि प्रभावशाली नेताओं और नीतियों के बिना 2029 में भी बीजेपी को हराना विपक्ष का सपना ही बना रहेगा. ऐसा भी नहीं है कि मोदी सरकार सभी क्षेत्रों में असफल रही है. अन्य क्षेत्रों में मोदी की सफलता तथा उनकी दूरदर्शी और सुलझी नीतियों का तड़का अलग से है, जिस कारण बीजेपी का फ़िलहाल भविष्य सुनिश्चित दिख रहा है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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