सम्पादकीय

8 Years of Modi Government: भारतीय अर्थव्यवस्था में कितना हुआ सुधार, 8 साल के 'मोदीनॉमिक्स' में कहां खड़ा है देश?

Gulabi Jagat
26 May 2022 8:30 AM GMT
8 Years of Modi Government: भारतीय अर्थव्यवस्था में कितना हुआ सुधार, 8 साल के मोदीनॉमिक्स में कहां खड़ा है देश?
x
भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का ख्वाब दिखाने वाले नरेंद्र मोदी को देश की सत्ता संभाले 8 वर्ष पूरे हो गए हैं
संयम श्रीवास्तव |
भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का ख्वाब दिखाने वाले नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को देश की सत्ता संभाले 8 वर्ष पूरे हो गए हैं. इन 8 वर्षों के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया (Digital India) के नारे के साथ देश की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में कई बड़े कदम उठाएं. हालांकि इस बीच देश ने नोटबंदी, एसेट मोनेटाइजेशन, गिरता शेयर बाजार, कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे तमाम उतार-चढ़ाव देखे. इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने बड़ी चुनौती थी कि कैसे वह देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाएं.
भारत में रिकॉर्ड फॉरेन इन्वेस्टमेंट
आज दुनियाभर के निवेशकों के लिए भारत एक पसंदीदा बाजार बन चुका है. महामारी के बावजूद भी भारत में विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2021-22 में देश में रिकॉर्ड प्रत्यक्ष एफडीआई आया. इसी शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय ने एफडीआई के आंकड़े जारी किए जिसके अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ. यह अब तक का नया रिकॉर्ड है. जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत में 81.97 अरब डॉलर का एफडीआई आया था. सबसे ज्यादा विदेशी निवेश विनिर्माण क्षेत्र में आया. 2020-21 में इस क्षेत्र में भारत में 12.09 अरब डॉलर का एफडीआई आया था. जबकि इसकी तुलना में 2021-22 में इस क्षेत्र में 21.34 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ था. यानी 1 साल में सीधे 76 फ़ीसदी की जोरदार बढ़ोतरी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रमुख विदेशी निवेशकों के मामले में सिंगापुर पहले स्थान पर है, जिसका भारत की कुल एफडीआई में 27 फ़ीसदी का हिस्सा है. इसके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका और तीसरे नंबर पर मॉरीशस है.
दुनिया के कई देश कोरोना के बाद आर्थिक मंदी के शिकार, भारत बचा रहा
कोरोना महामारी ने जब दुनिया में दस्तक दी तो इसने आर्थिक रूप से दुनिया के तमाम बड़े देशों की कमर तोड़ दी. भारत पर भी इसके प्रभाव पड़े, लेकिन भारत और तमाम विकसित देशों की तरह घुटने पर नहीं आया. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देश जो खुद को तथाकथित ताकतवर मुल्क बताते हैं, उनकी अर्थव्यवस्थाओं को कोरोना महामारी ने तहस-नहस कर दिया. यहां तक कि आईएमएफ ने यहां तक कह दिया था का दक्षिण अमेरिका के हर तीन में से एक व्यक्ति को अपनी नौकरी खोनी पड़ सकती है. हालांकि, भारत इसके बावजूद भी कहीं ना कहीं अपनी अर्थव्यवस्था को उतना नीचे गिरने से बचा पाया, जितना अनुमान लगाए जा रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी जब केंद्र में आए थे तो भारत की जीडीपी लगभग 112 लाख करोड़ रुपए की थी, जो आज बढ़कर 232 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की हो गई है. आज भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 तक भारत की जीडीपी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
पर्यटन को तरजीह
प्रधानमंत्री मोदी ने जब से देश की कमान अपने हाथों में ली है तब से ही हिंदुस्तान को एक पर्यटन देश बनाने पर उनका पूरा जोर रहा है. अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी को भी उन्होंने पर्यटन के रूप में बेहतर बनाने की भरपूर कोशिश की. यहां तक की हाल ही में जब प्रधानमंत्री मोदी डेनमार्क गए थे, तब उन्होंने वहां के एनआरआई लोगों से कहा था कि वह अपने 5 विदेशी मित्रों को हर साल भारत जरूर भ्रमण कराएं. मोदी सरकार इन दिनों चलो इंडिया का नारा दे रही है. जिसके तहत वह विदेशी पर्यटकों को भारत की ओर आकर्षित करना चाहती है. 2020-21 के आम बजट में पर्यटन क्षेत्र के लिए मोदी सरकार ने 2499.83 करोड़ का प्रावधान किया था. वहीं 2019-20 के बजट में पर्यटन मंत्रालय के लिए मोदी सरकार ने 2189.5 करोड रुपए का प्रावधान किया था. अगर भारत में विदेशी पर्यटकों के आंकड़े देखें तो इस साल फरवरी तक भारत में 4.41 लाख विदेशी पर्यटक आ चुके हैं. जबकि 2021 में भारत में 14.12 लाख विदेशी पर्यटक आए थे. इससे पहले 2020 में 2.74 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए थे. हालांकि अगर हम कोरोना से पहले के आंकड़े देखें तो 2019-20 में नवंबर से मार्च के बीच करीब 48 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए थे.
कोविड रिलीफ पैकेज
जब कोरोना महामारी के चलते देश के तमाम उद्योगों की कमर टूट गई थी, तब इससे उबरने के लिए मोदी सरकार ने एक राहत पैकेज की घोषणा की थी. जिसके तहत कोविड से प्रभावित सेक्टरों के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपए का पैकेज का ऐलान किया गया था. इसमें से हेल्थ सेक्टर को 50 हजार करोड़ रुपए और अन्य सेक्टर के लिए 60 हजार करोड़ रुपए दिए जाने की बात हुई थी. इसके साथ ही छोटे कारोबारियों को मदद देने के लिए मोदी सरकार ने क्रेडिट गारंटी योजना की भी शुरुआत की. जिसके तहत माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट से छोटे कारोबारी 1.25 लाख तक का लोन ले सकते हैं और इस लोन की अवधि 3 साल होगी. जिसकी गारंटी सरकार देगी.
केंद्र सरकार ने कोरोना से प्रभावित रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड और ट्रैवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स को भी वित्तीय मदद देने का ऐलान किया था. जिसके तहत लाइसेंसधारी टूरिस्ट गाइड को एक लाख और टूरिस्ट एजेंसी को दस लाख लोन दिए जाने की घोषणा की गई थी. खास बात यह है कि इस लोन पर कोई प्रोसेसिंग चार्ज नहीं होगा. इन सब में सबसे बड़ी बात रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना. जिसने इस महामारी के दौरान गरीबों की बड़ी मदद की. 2020-21 में इस स्कीम पर 133972 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इसके साथ ही किसानों को भी मोदी सरकार की तरफ से 14,775 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी गई थी.
स्टार्टअप
मेड इन इंडिया, मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल जैसे नारों के साथ मोदी सरकार ने शुरू में ही यह दिखा दिया था कि वह स्टार्टअप को लेकर कितना उत्सुक है. यही वजह रही की महामारी के बावजूद भारत में नए स्टार्टअप तेजी से ग्रो कर रहे हैं. अब तक देश की 100 स्टार्टअप कंपनियों ने यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने का तमगा हासिल कर लिया है. और इस साल अभी तक भारत की 22 स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुई हैं. जबकि 44 स्टार्टअप कंपनियां पिछले साल इस क्लब में शामिल हुई थीं. नरेंद्र मोदी सरकार ने लगभग 75 महीने पहले स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम शुरू किया था, जो भारत में एक स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने पर जोर दे रही थी और इसी का नतीजा था कि आज भारत में तेजी से स्टार्टअप्स आगे बढ़ रहे हैं. भारत आज स्टार्टअप्स के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर चीन है.
विदेशी कंपनियों ने भारत में स्थापित की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट
विदेशी कंपनियों को भारत में लाना मोदी सरकार का एक बड़ा एजेंडा है. जिसके तहत वह दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों को भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने का आग्रह करती है. यही वजह है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत बहुत तेजी से विदेशी निवेश हासिल कर रहा है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 76 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यानी 2020-21 में जहां यह 12.09 अरब डॉलर था, वहीं 2021-22 में बढ़कर यह 21.35 अरब डॉलर हो गया. आज एप्पल हो या फिर सैमसंग या फिर अन्य कोई बड़ी विदेशी कंपनी, वह भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रही है. इसलिए वह दिन दूर नहीं जब दुनिया की ज्यादातर सामानों पर मेड इन चाइना नहीं, मेड इन इंडिया लिखा होगा.
रिकॉर्ड डॉलर का भंडार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक समय पर 642.45 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. हालांकि पिछले 6 महीने में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में जरूर 28 बिलीयन डॉलर की गिरावट आई है, क्योंकि जब यूक्रेन पर रूस ने आक्रमण किया तो उसके बाद 24 फरवरी से अब तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 5.4 फ़ीसदी की गिरावट आई है.
Next Story