सम्पादकीय

5G Technology In India : क्या 5G मानवता के लिए खतरा है? जूही चावला का डर कितना सही है

Gulabi
1 Jun 2021 10:41 AM GMT
5G Technology In India : क्या 5G मानवता के लिए खतरा है? जूही चावला का डर कितना सही है
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5G Technology In India

संयम श्रीवास्तव। देश की जानी मानी अभिनेत्री जूही चावला ने इन दिनों 5G टेक्नोलॉजी (5G Technology) के खिलाफ जंग छेड़ दिया है. जूही चावला (Juhi Chawla) ने 5G नेटवर्क के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक याचिका दायर की है. उन्होंने अपनी इस याचिका कहा है कि 5G टेक्नोलॉजी की Radio-Frequency से लोगों के हेल्थ पर बुरा असर पड़ेगा इसलिए इसे तत्काल रोक देना चाहिए. इस मामले पर अब 2 जून को सुनवाई होनी है. दरअसल जूही चावला इस तकनीक का विरोध शुरुआत से ही करती आई हैं, उन्होंने इसके खिलाफ देशभर में जागरूकता अभियान भी छेड़ रखा है. जूही चावला का कहना है कि 5G टेक्नोलॉजी एक गंभीर मुद्दा है जो मानवता के लिए खतरा बन सकता है इसलिए इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर बारीकी से शोध होना चाहिए. उन्होंने अपने याचिका के जरिए सरकार से ये सवाल भी किए हैं कि क्या 5G से जुड़े तकनीकों पर पूरी तरह से शोध किया गया है कि इससे निकलने वाले रेडियो एक्टिव तरंगे इंसानों और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी.

जबकि दूसरी ओर 5G टेक्नोलॉजी को केंद्र सरकार की कुछ महत्वकांक्षी योजनाओं में गिना जा रहा है. केंद्र सरकार चाहती है कि टेक्नोलॉजी के मामले में भारत दुनिया से पीछे ना रहे हैं और दुनिया के तमाम बड़े देश जिस तरह से 5G नेटवर्क पर काम कर रहे हैं भारत भी उसी रास्ते पर आगे बढे. दरअसल अगर भारत भी 5G तकनीक विकसित कर लेता है तो वह भी चीन, अमेरिका और साउथ कोरिया जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. भारत सरकार का कहना है कि किसी भी देश के विकास के लिए वहां एडवांस टेक्नोलॉजी का होना बहुत जरूरी है. यही कारण है कि सरकार ने 13 कंपनियों को इसके ट्रायल के लिए अनुमति दे दी है.
क्या 5G तकनीक सच में इतना खतरनाक है?
5G तकनीक के ऊपर आपको इंटरनेट पर तमाम आर्टिकल और वीडियोज मिल जाएंगे पर उनमें से सभी सही नहीं हैं. बीबीसी अपनी रिपोर्ट में कहता है कि 5G नेटवर्क रेडियो तरंगों द्वारा किए गए संकेतों पर निर्भर करता है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का हिस्सा मानी जाती हैं. दरअसल यह तरंगे एंटीना और आपके फोन के बीच ट्रांसमिट करती हैं और संबंध स्थापित करती हैं. 5G नॉर्मल इंटरनेट स्पीड से ज्यादा तेज होगा, इसलिए जाहिर सी बात है उसकी फ्रीक्वेंसी की वेव भी ज्यादा होगी. इसी मुद्दे पर 27 फरवरी 2020 को डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी, '5G मोबाइल नेटवर्क एंड हेल्थ रिपोर्ट' इसके मुताबिक वायरलेस तकनीकों के संपर्क में आने से किसी के स्वास्थ्य पर किसी तरह का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है.
हां! इस रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया है की रेडियो फ्रिक्वेंसी फील्ड और ह्यूमन बॉडी के बीच में संपर्क होने से टिशू हीटिंग होती है. हालांकि मौजूदा समय में इस्तेमाल होने वाली तकनीक से फिलहाल किसी जोखिम की संभावना कम है. लेकिन डब्ल्यूएचओ Radio-Frequency के एक्स्पोज़र से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर एक असेसमेंट कर रहा है, जिसमें 5G तकनीक भी शामिल है. इस रिपोर्ट के 2022 में आने की उम्मीद है जिसमें कई 5G तकनीक पर कई चीजें साफ हो जाएंगी.
इस मुद्दे पर बिजनेस टुडे में छपे Deloitte की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 'इसकी उम्मीद बेहद कम है कि 5G मोबाइल नेटवर्क और उसके रेडिएशन से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा चाहे वह खुद 5G यूज़र ही क्यों ना हो.'
5G तकनीक और अफवाहों का बाज़ार
कोरोना से जब पूरी दुनिया जूझ रही थी उस वक्त भारत कोरोना के साथ-साथ एक अफवाह से भी जूझ रहा था. दरअसल कोरोना से हो रही मौतों को लेकर सोशल मीडिया पर एक अलग थ्योरी चल रही थी कि ये मौतें और संक्रमण कोरोना से नहीं बल्कि 5G की टेस्टिंग से हो रही हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया के स्वयंभू वैज्ञानिकों ने खूब तर्क दिए और जनता के बीच अफवाहों का रायता फैला दिया. यहां तक की इन अफवाहों के बलबूते 5G टेस्टिंग को भारत में रद्द करने की मांग उठने लगी. हालांकि बाद में इन अफवाहों पर सरकार और WHO दोनों ने सफाई दी कि कोरोना और 5G का आपस में कोई संबंध नहीं है. WHO ने इन अफवाहों को रोकने के लिए एक रिपोर्ट भी पेश की और कहा कि 5G नेटवर्क की तरंगों से कोरोना नहीं फैलता. रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना उन देशों में भी तेजी से फैल रहा है जहां अभी 5G का नामोंनिशान नहीं है.
क्या है यह 5G कैसे काम करता है
5G तकनीक का मतलब होता है एक सॉफ्टवेयर आधारित नेटवर्क सिस्टम जिसे वायरलेस नेटवर्क की स्पीड और कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए बनाया गया है. यह टेक्नोलॉजी डाटा क्वांटिटी को भी काफी बढ़ा देता है जो वायरलेस नेटवर्क को ट्रांसमिट करता है. 5जी से आपकी इंटरनेट स्पीड इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी जिसकी कल्पना की शायद आपने नहीं की होगी. इसे ऐसे समझिए कि जिस वीडियो को आप डाउनलोड करने में अभी 1 मिनट या 2 मिनट का समय लगाते हैं, 5G तकनीक आने के बाद वह चंद सेकेंडों का खेल बन जाएगा. रिसर्च कहता है कि 5G नेटवर्क का डाटा 4G की तुलना में 100 से 250 गुना अधिक तेज ट्रेवल कर सकता है. यही नहीं इस टेक्नोलॉजी के आ जाने के बाद आप एक साथ 8k फॉर्मेट में एक साथ सैकड़ों फिल्में देख सकते हैं. इस पर काम करने वाले लोगों का मानना है कि अगर यह तकनीक दुनिया में आ गई तो एक नई टेक्नोलॉजी क्रांति ला देगी जो एक झटके में इस पीढ़ी को टेक्नोलॉजी के मामले में कई कदम आगे पहुंचा देगी.
सरकार क्या कर रही है 5G पर
भारत में 5G इसी साल शुरू हो सकती है, सरकार ने तो 5G ट्रायल के लिए 13 कंपनियों के आवेदन भी मंजूर कर दिए हैं. हालांकि इन कंपनियों में चीनी कंपनियों को दूर रखा गया है. देश की सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड यानि बीएसएनल भी सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ टेलीमेटिक्स के साथ मिलकर 5G का ट्रायल करने को तैयार है. इसके अलावा भारतीय एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और रिलायंस जियो ने एरिकसन और नोकिया के वंडर्स के साथ साझेदारी की है. सरकार इन कंपनियों को ट्रायल करने के लिए जल्द ही 700 मेगाहर्ट्ज बैंड की एयरवेव देने वाली है. लेकिन इन कंपनियों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग करते समय सरकार द्वारा तय की गई शर्तों का पूरा पालन करना होगा. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने तो हाल ही में ऐलान कर दिया था कि जियो 2021 की दूसरी छमाही में 5G लॉन्च करने की योजना बना रहा है. भारत जहां इस तकनीक को अपने यहां शुरू करने की योजना बना रहा है, वहीं दूसरे कई देशों में यह शुरु हो चुका है. अमेरिका, चीन और दक्षिण कोरिया के साथ-साथ श्रीलंका, ओमान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड जैसे 68 छोटे देश है जहां यह तकनीक अब शुरू हो चुकी है.
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