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मोबाइल व दूसरे उपकरण उन पर काम कर सकें। अगर इन चिंताओं के उत्तर नहीं आए, तो हमारे पास तकनीक तो होगी, लेकिन उसके ज्यादा उपयोगकर्ता नहीं होंगे।
दस दिन पहले यानी 20 मई को केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आईआईटी, मद्रास द्वारा देसी तकनीक से तैयार एक ट्रायल नेटवर्क पर देश में पहली 5जी कॉल की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईआईटी, मद्रास में देश के पहले 5जी टेस्ट बेड का उ द्घाटन किया था, ताकि स्टार्ट अप्स और उद्यमी स्थानीय स्तर पर अपने उत्पादों की जांच और उनकी अभिपुष्टि कर सकें और विदेशी सुविधाओं पर हमारी निर्भरता कम हो। जाहिर है कि 5जी के तैयार उपकरणों और नेटवर्कों को अब विदेशों से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है, देश में ही इसका प्रमाणीकरण केंद्र है, जिसका लाभ 5जी नेटवर्क की दौड़ में शामिल होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों को मिलेगा।
मोबाइल फोन और इंटरनेट के आम उपभोक्ताओं के लिए 5जी वायरलेस तकनीक की पांचवीं पीढ़ी है, जो 4जी नेटवर्क की तुलना में अधिक रफ्तार और ज्यादा क्षमता मुहैया कराएगी। यह अब तक की सबसे तेज और मजबूत तकनीक है। 5जी नेटवर्क में इंटरनेट की रफ्तार और बढ़ जाएगी, जिससे डाउनलोड होने में कम समय लगेगा। इसमें वेब पेज लोड करने में कम समय लगेगा और हमारा जीवन, कारोबार और काम करने के तरीके-सब बदल जाएंगे। 5जी आने के बाद भविष्य की हमारी तकनीक सभी चीजों को एक दूसरे से जोड़ देगी-घर, बगैर ड्राइवर वाली कार, स्मार्ट ऑफिस, स्मार्ट सिटी और उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। कई अर्थों में, तकनीकों से जिन बेहतर और असंभव बदलावों के बारे में हम अक्सर सोचते हैं, 5जी नेटवर्क से वे सब संभव हैं।
पिछले करीब तीस साल में वायरलेस तकनीक के क्षेत्र में व्यापक रूपांतरण हुआ है। 1जी के शुरुआती दिनों की, जो एनालॉग सेलुलर था और आवाज ही जिसका एकमात्र माध्यम था, विशेषता यह थी कि मोबाइल टेलीफोन अपने उस प्रारंभिक दौर में बिना तार के आवाजाही कर सकता था। काफी दिनों तक 1जी नेटवर्क रहा, जिसे 2जी ने आकर विस्थापित किया। 2जी नेटवर्क की विशेषता यह थी कि आवाज के अलावा इसमें कुछ आंकड़े भी प्रेषित किए जा सकते थे। यानी 2जी नेटवर्क में बात करने की सुविधा के अलावा एक-दूसरे को संदेश (एसएमएस) भेजा जा सकता था। उसके बाद 3जी और 4जी नेटवर्क आए, जो अब भी प्रचलन में हैं। मोबाइल टेलीफोन की तकनीक में यह बड़ा बदलाव था, जिन्होंने वीडियो कॉल, तेजी से डाउनलोडिंग और मोबाइल पर आए कुछ नए एप के जरिये दूरसंचार की हमारी दुनिया ही बदल दी।
वायरलेस तकनीक की हर पीढ़ी ने उपभोक्ताओं को कुछ न कुछ उल्लेखनीय प्रदान किया। 5जी तकनीक भी उपभोक्ताओं को बहुत कुछ नया देने वाली है। अलबत्ता 5जी तकनीक और 5जी के अनुभवों में फर्क है। उदाहरण के लिए, कई देशों में 5जी तकनीक पहले से ही काम कर रही है, लेकिन उन देशों में, यहां तक कि अमेरिका में भी, 5जी तकनीक से होने वाले बदलाव अभी तक संभव नहीं हो पाए हैं। बेशक 5जी 4जी की तुलना में बहुत तेज है, लेकिन 5जी तकनीक से मानव जीवन में होने वाले बदलावों की अभी प्रतीक्षा ही की जा रही है। चुनौतियां यहीं खत्म नहीं हो जातीं। जैसे कि सिर्फ 5जी नेटवर्क का आना काफी नहीं है, आपके पास ऐसे मोबाइल भी होने चाहिए, जो 5जी नेटवर्क के लिए बने हों। बहुत सारे मोबाइल फोन 5जी नेटवर्क को सपोर्ट नहीं करते। जाहिर है, बड़ी संख्या में बाजारों में 5जी नेटवर्क वाले मोबाइल फोन आएंगे, तो उपभोक्ताओं को उनकी महंगी कीमत भी चुकानी पड़ेगी।
अपने ही देश की बात करें, तो 5जी स्पेक्ट्रम में संचालित होने के लिए 5जी टेलीकॉम लाइसेंस की प्रक्रिया पर काम अभी चल ही रहा है। वोडाफोन आइडिया, जिओ और एयरटेल 5जी नेटवर्क की अपनी क्षमता का अभी परीक्षण कर रही हैं। और बेशक इस साल के अंत तक देश में 5जी नेटवर्क की शुरुआत हो जाएगी, इस तकनीक का हमारे जीवन पर पड़ने वाला असर देखने के लिए और कुछ समय तक इंतजार करना पड़ेगा। दूरसंचार विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस साल 5जी नेटवर्क लांच हो जाएगा, लेकिन शुरुआत में देश के 13 शहरों में ही यह नेटवर्क लागू होगा। उसके कुछ समय बाद ही पूरे देश के लिए 5जी का लाभ उठाना संभव हो सकेगा। 5जी और उसके बाद 6जी तकनीक निश्चित तौर पर भारत को व्यापक तौर पर बदलेगी, परंतु सभी लोगों के लिए इसका लाभ उठाना संभव नहीं। जिन उपकरणों पर 5जी तकनीक का असर साफ दिखता है, उनमें से ज्यादातर का निर्माण भारत में नहीं होता। ऐसे में, 5जी सपोर्ट वाले अनेक गैजेट्स के लिए हमें विकसित देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा। जैसे कि दो मुख्य प्लेटफॉर्म-एप स्टोर और एपल स्टोर के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने और उनकी जांच करने के लिए अनेक टेस्टिंग रूम्स की आवश्यकता पड़ेगी।
यह संभावना जताई जा रही है कि 5जी तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में-खासकर अस्पतालों, हवाई अड्डों और डाटा संग्रहण में बड़ी भूमिका निभाएगी। वायरलेस तकनीक की अगली पीढ़ी सिर्फ फोन तक सीमित नहीं होगी। ऐसे में, जाहिर है कि उसके अनुरूप नेटवर्क, उसके अनुरूप उपकरणों और उसके अनुरूप एप्स के लिए खर्च करने पड़ेंगे। भारत की विशाल आबादी और इंटरनेट व डाटा की भारी जरूरतों को देखते हुए वैश्विक दूरसंचार की होड़ में भारत निश्चित रूप से शामिल है। ऐसे में, 5जी और भविष्य की तकनीकों के परीक्षण की प्रणाली और पारिस्थितिकी तंत्र हमारे यहां हो, यही स्वाभाविक है। इन सब में समय लगेगा। पर 5जी का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं को खर्च करना पड़ेगा। टेलीकॉम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का विश्व बाजार चुनींदा देशों की चुनींदा कंपनियों के पास ही है, जिनमें भारत शामिल नहीं है।
यह उज्ज्वल संभावना तो है ही कि भारत 5जी तकनीक विकसित करने वाले देशों में अग्रणी होगा, पर यह तो समय ही बताएगा कि 5जी तकनीक के विकास केंद्र के रूप में भारत विश्व बाजार को आकर्षित कर पाएगा या नहीं। जो टेलीकॉम कंपनियां 5जी सेवा की शुरुआत करने जा रही हैं, उन्हें ढांचागत सुविधाओं पर भी खर्च करना पड़ेगा, ताकि इसकी सेवा पूरे देश में एक जैसी हो और मोबाइल व दूसरे उपकरण उन पर काम कर सकें। अगर इन चिंताओं के उत्तर नहीं आए, तो हमारे पास तकनीक तो होगी, लेकिन उसके ज्यादा उपयोगकर्ता नहीं होंगे।
सोर्स: अमर उजाला
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