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- 370, 35-ए की वापसी की...
फारूक अब्दुल्ला ने चीन के घोर दमनकारी और विस्तारवादी रवैये से परिचित होते हुए भी जिस तरह उससे मदद की आस लगाई, वह राष्ट्रीय हितों पर आघात के अलावा और कुछ नहीं। उन्होंने अपने आपत्तिजनक बयान से राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही चीन एवं पाकिस्तान जैसे भारत के बैरी देशों का दुस्साहस बढ़ाने का काम किया है। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि चीन ने लद्दाख और अरुणाचल को लेकर जो बयान दिया, उसके पीछे कहीं न कहीं फारूक अब्दुल्ला जैसा नेता भी जिम्मेदार हैं।
यह ठीक है कि भारत ने चीन को दो टूक जवाब दे दिया, लेकिन इसी के साथ फारूक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को भी जवाब देने की जरूरत है, जो जिस थाली में खाते हैं उसमें ही छेद करने वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। वह अपनी हरकत से देश के प्रति अपनी निष्ठा को खुद ही संदेह के दायरे में लाने का काम कर रहे हैं। कुछ इसी तरह का रवैया पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती का भी है। यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि कश्मीर की जनता तक यह संदेश पहुंचाने में देर न की जाए कि फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे उन्हें लूटने वाले नेता उनके हितों को फिर से दांव पर लगाने का काम कर रहे हैं।