सम्पादकीय

चौबीस घंटे का दूरदर्शन

Rani Sahu
4 Oct 2022 6:58 PM GMT
चौबीस घंटे का दूरदर्शन
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By: divyahimachal
अंतत: हिमाचल में संवाद करते दूरदर्शन की आंखें चौबीस घंटे खोलने की जरूरत को अंगीकार करते, केंद्रीय खेल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने प्रदेश से वादा किया है। शिमला, धर्मशाला व हमीरपुर केंद्रों से 24 घंटे के प्रसारण का इंतजाम करते मंत्री ने अपने प्रदेश को पहला संगीत सुनाया है। केंद्र में हिमाचल के प्रतिनिधित्व की तलाशी काफी समय से हो रही थी, लेकिन न खेल का कोई मंजर बना और न ही आकाशवाणी व दूरदर्शन की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के दर्शन हुए। बहरहाल प्रदेश के लिए दूरदर्शन का नया खाका उन उम्मीदों को बल दे रहा है, जो एक स्वतंत्र चैनल को देखना व सुनना चाहते हैं। इसी तरह आल इंडिया रेडियो के शिमला, धर्मशाला व हमीरपुर केंद्रों के साथ हिमाचल के लिए स्वतंत्र व चौबीस घंटे प्रसारण की जरूरत को न•ारअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसी उम्मीद थी कि शिमला आकाशवाणी के पुराने दिन लौटेंगे और इसके साथ क्षेत्रीय रेडियो स्टेशन धर्मशाला से अलग से समाचारों का प्रसारण होगा। विडंबना यह है कि हमीरपुर व धर्मशाला केंद्रों में निदेशक या किसी वरिष्ठ प्रसारण अधिकारी के पद काफी समय से भरे ही नहीं गए, जबकि प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी मंडी से वर्षों से चली आ रही एफएम रेडियो की मांग पूरी नहीं हुई। सरकार का जनता से संवाद प्राय: आकाशवाणी व दूरदर्शन की विश्वसनीयता, लोकप्रियता व प्रासंगिकता पर निर्भर करता रहा है।
आज भी प्रदेश की सत्तर फीसदी जनता आकाशवाणी के जरिए मौसम, कृषि-बागबानी, बैंकिंग-सहकारी क्षेत्र ता सरकारी सूचनाओं के लिए सरकारी प्रसारण माध्यमों को तरजीह देती है। ऐसे में जरूरी यह भी है कि धर्मशाला के दूरदर्शन केंद्र का विस्तार भी क्षेत्रीय संस्थान के रूप में किया जाए और यहां अलग से समाचार व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए स्टूडियो बनाए जाएं। इसमें दोराय नहीं कि अनुराग ठाकुर के अधीन सरकार की सूचनाओं का तंत्र मजबूत हुआ है, लेकिन हिमाचल में मीडिया का हब बने धर्मशाला में अभी तक पीआईबी जैसे विभाग की कोई क्षेत्रीय इकाई स्थापित नहीं हुई, इसके कारण सरकार के सकारात्मक-विकासात्मक कार्यक्रमों की सूचना देरी से पहुंचती है। बहरहाल अपने विभाग की कसौटियों और प्राथमिकताओं में अनुराग ठाकुर ने दूरदर्शन को पेश किया है। हिमाचल जैसे प्रदेश के लिए केंद्र सरकार में अपना प्रतिनिधि होना, विकास की हिस्सेदारी में अहम हो जाता है। अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगत प्रकास नड्डा नहीं होते, तो कौन यह कल्पना कर सकता था कि एक दिन बिलासपुर में एम्स जैसा संस्थान स्थापित होगा। हिमाचल के साथ केंद्रीय बजट का रिश्ता मां-बेटे की तरह रहा है, फिर भी कुछ अति महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का श्रीगणेश चाहकर भी यहां नहीं हो पाया है।
पूर्व में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचली अधिकारों की किश्ती पर ऐसे कई सुझाव ढोए और जिनके तहत सैन्य प्रतिष्ठानों की स्थापना संभव थी। आज भी डोगरा रेजिमेंट का मुख्यालय ऊना में शिफ्ट करने की मांग कहीं दब गई है, जबकि आयुध कारखाने की स्थापना के लिए अतीत में हुई कोशिश बेकार हो गई। बतौर मंत्री अनुराग ठाकुर से यह उम्मीद है कि वह ऊना रेल का रुख मोड़ते हुए उसे वाया हमीरपुर-बिलासपुर, कांगड़ा व मंडी से जोड़ सकते हैं, लेकिन अभी तक ऐसी इच्छा शक्ति सामने नहीं आई। देश में स्थापित कई राष्ट्रीय संस्थानों के क्षेत्रीय विंग अगर हिमाचल में स्थापित होते हैं, तो कला, फिल्म, खेल, मनोरंजन तथा रोजगार के कई अवसर प्राप्त होंगे। गरली-परागपुर जैसे धरोहर गांवों की परिधि में फिल्म सिटी एवं टीवी संस्थान की स्थापना से हिमाचल के युवाओं को रोजगार व कलात्मक परिदृश्य में चमकने का अवसर मिल सकता है।
Rani Sahu

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