सम्पादकीय

2020 ने एकजुटता, प्रकृति रक्षा और जीवन की महत्ता का अहसास कराया, इसी विजन के साथ 2021 में प्रवेश करें

Gulabi
31 Dec 2020 2:15 PM GMT
2020 ने एकजुटता, प्रकृति रक्षा और जीवन की महत्ता का अहसास कराया, इसी विजन के साथ 2021 में प्रवेश करें
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कोरोना से उत्पन्न कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2020 में लोगों की मानसिकता में क्या बदलाव आया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस से उत्पन्न कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2020 में लोगों की मानसिकता में क्या बदलाव आया और आने वाले वर्ष 2021 से क्या उम्मीदें हैं? इसे हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझें तो कह सकते हैं कि हमारे कितने भी संकल्प हों, कितनी भी उम्मीदें हों और हमारे पास कितनी भी नई योजनाएं हों, परंतु होगा वही जो परमात्मा ने हमारे लिए सोच कर रखा है। जब 2020 शुरू हुआ था तो लोगों ने अपने नए वर्ष के लिए कई संकल्प लिए होंगे, अनेक योजनाएं बनाई होंगी, बहुत सारे सपने देखे होंगे, परंतु वर्ष 2020 ने हमें वह दिखाया जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। इसने हमें बताया है कि योजनाएं बनाना और उन्हें पूरा करना केवल हमारे हाथ में नहीं है, बल्कि हमारे कर्म के ऊपर भी निर्भर करता है। आज हम अपने चारों ओर कोविड-19 के मरीज देख रहे हैं। इसे भगवान ने हमें दंड स्वरूप नहीं दिया है। ऐसा नहीं है कि वे हमसे नाराज हैं। यह कोई निरुद्देश्य घटना नहीं है, बल्कि हमारे कर्मों का ही परिणाम है।

खतरनाक वायरस के जन्म से शारीरिक प्रतिरक्षा तंत्र प्रभावित हो रही है

आज हम अपने आसपास जो फल, फूल और पत्तियां देख रहे हैं वे सब भी हमारे द्वारा बोए गए बीजों के ही परिणाम हैं, लेकिन अक्सर हम भ्रांतियों के साथ जीते हैंं। सोचते हैं कि हम सबसे अलग हैं। इसी कारण अपनी धरती माता, जल स्रोतों, वायु और मिट्टी को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। वास्तव में हमने कहीं न कहीं अपने व्यवहार से एक ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी जिससे इतने खतरनाक वायरस का जन्म हुआ। इससे न केवल शारीरिक प्रतिरक्षा तंत्र प्रभावित हो रहा है, बल्कि हमारा समाज भी प्रभावित हो रहा है। हमारे पास इसे ठीक करने का कोई उचित माध्यम या कोई मंत्र ही नहीं है।
कोरोना ने हमें दिखाया कि हम सभी एक-दूसरे से कितने जुडे़ हैं

कोरोना ने हमें दिखाया है कि हम सभी एक-दूसरे से कितने जुडे़ हैं। अगर कोई चीन के मीट मार्केट में कुछ खा रहा है तो उससे पूरा विश्व प्रभावित हो सकता है। पूरी दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां पर इस वायरस का प्रभाव नहीं हुआ हो। इससे यह शिक्षा मिलती है कि हममें से कोई भी एक-दूसरे से पृथक नहीं है। जब शुरुआत में लॉकडाउन हुआ तब पूरा विश्व जैसे रुक-सा गया था। उस समय समूची दुनिया की वायु शुद्ध हो गई थी। जल स्वच्छ हो गया था। कार्बन के कण घट गए थे। धरती माता मुस्कुराने लगी थीं। इससे पूरे विश्व का पर्यावरण शुद्ध और पवित्र हो गया था। उस दौरान हम सभी अंदर थे, परंतु पृथ्वी उस समय खिल रही थी। प्रकृति ने कारोना के माध्यम से यह भी एक बड़ी शिक्षा दी है कि जिस तरह से हम रह रहे हैं वह जीने का सतत और सुरक्षित तरीका नहीं है। ऐसा नहीं हो कि जब हम बीमार हों तो हमारी धरती माता स्वस्थ रहें और जब हम स्वस्थ हों तो धरती माता बीमार रहें। जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ, बाजार खुले, वस्तुओं का उत्पादन शुरू हुआ तो वापस पर्यावरण प्रदूषित होने लगा। इससे आने वाले दिनों में कोई भी समस्या उत्पन्न हो सकती है। लोग कह रहे हैं कोविड-19 एक आपात स्थिति है, इमरजेंसी है। वास्तव में यह स्वास्थ्य की दृष्टि से इमरजेंसी है, अर्थव्यवस्था की दृष्टि से इमरजेंसी है, परंतु एक अवसर भी है कि कैसे हम अपनी भ्रांतियों, अपने अंदर के अंधकार को दूर करें। अर्थात इस समय इमरजेंसी से 'इमर्ज एंड सी' की ओर हम जा सकते हैं या जा रहे हैं।

कोरोना ने हमें सिखाया कि जीवन बहुत महत्वपूर्ण है

अगर हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो कोरोना ने हमें यह भी सिखाया है कि जीवन बहुत महत्वपूर्ण है। इसने यह भी बताया है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्या है? हम सभी सच में भूल गए थे कि हमारे लिए सबसे जरूरी क्या है? हमारा स्वास्थ्य, हमारा परिवार, दूसरे लोगों से हमारा जुड़ाव और हमारे मूल्य यही सबसे महत्वपूर्ण हैं। अक्सर हम यह भूल जाते हैं और हमें लगता है कि पैसा ही सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन आज हम जान गए हैं कि पैसा महत्वपूर्ण नहीं है। उससे एक सांस भी नहीं खरीदी जा सकती। इस महामारी ने हमें सिखाया है कि अपनी जड़ों से जुड़ें, अपने मूल्यों को जानें और उनका अनुसरण करें। इसने हमें एक-दूसरे से जुड़ने की भी शिक्षा दी है। चूंकि हम सभी के अंदर परमात्मा का अंश है इस नाते भी हम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम सभी एक ही भगवान की संतान हैं इस नाते भी हम सभी अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि एक हैं। इसके साथ हमें यह भी याद रखना है कि हम एक-दूसरे के साथ कैसे रहें? अपनी धरती माता के साथ कैसे रहें? हमारी धरती माता केवल उपयोग या उपभोग करने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें संरक्षित करें, उनकी रक्षा करें। उनका शोषण नहीं, पोषण करें।
वर्ष 2021 में नई समझदारियों को बढ़ावा देना होगा

अब यदि हम वर्ष 2021 से उम्मीदों की बात करें तो इसमें कुछ चीजों का पालन करना बहुत जरूरी है। जैसे-हम शारीरिक दूरी बनाए रखें, मास्क लगाएं और भीड़भाड़ वाली जगहों पर सावधानी बरतें। यह समय धैर्य के साथ रहने का है। लोगों को इन नियमों का पालन करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा हमें अब पीछे भी नहीं जाना है। अर्थात जैसे हम 2019-20 में रह रहे थे वैसे नहीं रहना है। वर्ष 2021 नए मूल्यों को लेकर आएगा। लिहाजा हमें इसमें नई समझदारियों को बढ़ावा देना होगा। नए आचार-विचार, नई दृष्टि के साथ आगे बढ़ना होगा। वर्ष 2020 ने हमें एक विजन दिया है, एक नई पहचान दी है। एकजुटता, धरती माता की रक्षा और जीवन की महत्ता का अहसास कराया है। आइए इसी विजन के साथ 2021 में प्रवेश करें।


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