सम्पादकीय

सत्ता के 20 साल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वे फैसले जिनसे बदल गई लाखों की जिंदगी

Gulabi
7 Oct 2021 12:13 PM GMT
सत्ता के 20 साल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वे फैसले जिनसे बदल गई लाखों की जिंदगी
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सत्ता के 20 साल

संयम श्रीवास्तव।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 7 अक्तूबर 2001 को गुजरात का मुख्यंत्री बने उसके बाद लगातार वो 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक गुजरात के सीएम रहे. पीएम पद पर शपथ लेने के बाद आज तक लगातार अपने पद को सुशोभित कर रहे हैं. विपक्ष उनके तमाम फैसलों और कार्यशैली की आलोचना कर सकता है पर इससे इनकार नहीं कर सकता कि उनके सत्ता में आने के 20 सालों में लिए गए फैसले एतिहासिक हैं. जिनकी चर्चा भारत के इतिहास में भी होती रहेगी.


देश का एक ऐसा पीएम जिसने हमें स्वच्छता का पाठ पढ़ाया, जिसने गुलामी के कई प्रतीक चिह्नों को ध्वस्त किया. देश के हर कोने में अपनी पार्टी का परचम लहराया. आतंकवाद पर लगाम कसी, चीन और पाकिस्तान को झुकने को मंजूर किया.


1- आतंकवाद की कमर तोड़कर शांति की स्थापना
जो देश कभी उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक आतंकवाद से ग्रसित होता था, उस देश में बीते कुछ सालों से शांति है. पंजाब में खालिस्तान, साउथ में लिट्टे का डर, नॉर्थ ईस्ट में बोडो और बहुत से आतंकी ग्रुप सक्रिय थे. कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी आए दिन हिंसा की घटनाओं को अंजाम देते थे. हर रोज खबरें आती थीं कि कभी मुंबई में ब्लास्ट हो गया, कभी सूरत में, कभी दिल्ली में, तो कभी यूपी में. कभी विमान हाईजैक हो जाते थे तो कभी गृहमंत्री की बेटी किडनैप कर ली जाती थी. कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद हिंसा की घटनाओं में काफी कमी आई है. वहीं नॉर्थ ईस्ट में बोडो विद्रोहियों से शांति प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराकर उन्हें मेनस्ट्रीम में लाना भी सरकार की बड़ी सफलता रही है. पाकिस्तान 2014 से पहले भारत में आतंकवादी हमले करा कर शांति से बैठ जाता था. अब हिंदुस्तान हमले का करारा जवाब देना जानता है, ऊरी और पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक झेलनी पड़ी. सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने दुनिया को बता दिया था कि यह नया भारत है जो अपने दुश्मनों को घर में घुस कर मारता है.

18 सितंबर 2016 को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में इंडियन आर्मी के कैंप पर हमला किया इस हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए. इस हमले से देश गुस्से में था. पाकिस्तान को लगा कि जिस तरह से वह पहले भारत पर हमले कर के शांति से बैठ जाता था इस बार भी वैसा ही कुछ होगा. लेकिन 29 सितंबर को कुछ ऐसा हुआ जिसने दुनिया को बता दिया कि भारत अपने दुश्मनों को करारा जवाब देना जानता है. 29 सितंबर की रात भारत के 150 कमांडोज ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया यह देश के लिए पहला मौका था जब आतंकियों के खिलाफ लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर भारतीय सेना ने कोई ऑपरेशन किया था. इस हमले में भारतीय जवानों ने लगभग 38 आतंकवादियों को मार गिराया था. रात की साढ़े 12 बजे शुरू हुआ यह ऑपरेशन सुबह साढ़े 4 बजे तक चला था. 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायु सेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर जैश-ए-मोहम्मद के ना सिर्फ आतंकी ठिकाने बर्बाद की बल्कि उसके 250 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया.

2- पाकिस्तान को मुस्लिम देश भी तवज्जो नहीं देते, चीन की बोलती बंद की
2014 से पहले पाकिस्तान भारत को लेकर दुनिया भर में भ्रम फैलाने में कामयाब हो जाता था. चाहे वह कश्मीर को लेकर हो या फिर आतंकवाद के मुद्दे पर. पाकिस्तान हमेशा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर झूठ बोलकर भारत को गलत साबित कर अपने आप को बचा ले जाता था. लेकिन 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले अपनी कूटनीति और विदेश नीति को मजबूत किया, जिसके जरिए आज पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि उसे मुस्लिम देश भी तवज्जो नहीं देते हैं. यहां तक की 47 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी भी अब पाकिस्तान से ज्यादा भारत को तवज्जो देने लगा है. पाकिस्तान की स्थिति ऐसी हो गई है कि इसे अब कोई भी देश कर्ज देना नहीं चाहता, आतंकवाद के मामले पर भी पाकिस्तान को भारत ने पूरी दुनिया में अलग-थलग कर दिया है. उसके साथ चीन के अलावा शायद ही कोई देश इस मुद्दे पर खड़ा दिखाई देता है.

अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देश जो हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े होते थे आज भारत के साथ खड़े हैं और पाकिस्तान का मुखर रूप से विरोध करते हैं. सऊदी अरब हो, इराक हो या फिर ईरान, भारत ने गल्फ देशों और यूरोपीय देशों में अपनी विदेश नीति मजबूती से स्थापित की है. जिसकी वजह से दुनिया में भारत का कद भी बढ़ा है और उसकी इज्जत भी. आज सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात भारत के अच्छे दोस्त हैं, जो कभी पाकिस्तान के साथ हुआ करते थे. भारत के पड़ोसी चीन के साथ भारत अब आंखों में आंख डालकर बात करने वाला बन गया है. क्वाड देशों के संगठन और G7 की नजदीकियों ने भारत को बहुत मजबूती प्रदान की है. गलवान वैली की घटना के बाद चीन दुनिया और खुद अपने देश के सामने मुंह छुपाता फिर रहा है. गलवान में चीन के कितने सैनिक मारे गए इस पर खुल के आज तक चीन नहीं बोल सका है.

3- भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी
भारत ने अपनी वैक्सीनेशन डिप्लोमेसी के तहत जो किया दुनिया उसका आज गुणगान करती है. एक तरफ जहां भारत के पड़ोसी देश चीन से निकला वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा था, वहीं दूसरी ओर भारत दुनियाभर के अमीर-गरीब देशों को इस वायरस से बचाने वाला सुरक्षा कवच दे रहा था. जो देश कल तक अपने आप को तथाकथित विकसित और ताकतवर बताते थे, कोरोना से बचने के लिए वह भारत के सामने हाथ जोड़े खड़े थे. भारत ने ना सिर्फ ब्रिटेन, अमेरिका और सऊदी अरब, कनाडा जैसे देशों को कोरोना वैक्सीन दी. बल्कि उसने इस महामारी में दुनिया के उन गरीब देशों की भी मदद की जिन्हें कोई नहीं पूछ रहा था.

3-पीएम मोदी ने वैक्सीन डिप्लोमेसी के जरिए पूरी दुनिया में भारत को गौरवान्वित किया
भारत ने कुल दान का 70 प्रतिशत अपने पड़ोसी मुल्कों बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव को दिए. ये कुल निर्यात का एक-तिहाई है. भारत ने इन देशों को करीब 1 करोड़ 80 लाख टीके दिए. वहीं अफ्रीकी देशों को भी भारत ने वैक्सीन दान में दी. ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने कोविड-19 के टीके की 20 लाख खुराक भारत की ओर से मिलने पर प्रधानमंत्री मोदी को हनुमान जी की एक तस्वीर शेयर करते हुए धन्यवाद भी कहा था. बीबीसी में छपी एक खबर के अनुसार, भारत ने इस वैक्सीन डिप्लोमेसी के तहत दुनिया के कुल 90 देशों को करीब 6 करोड़ 60 लाख वैक्सीन के डोज दिए हैं. पीएम मोदी की इस वैक्सीन डिप्लोमेसी की वजह से भारत की तारीफ पूरी दुनिया में हुई.

4- स्वच्छ भारत मिशन, सफाई प्राथमिकता में शामिल हुई
स्वच्छ भारत की परिकल्पना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की थी. लेकिन देश की आजादी के इतने वर्षों के बाद भी किसी सरकार या प्रधानमंत्री ने इस पर ध्यान नहीं दिया. 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो 2 अक्टूबर 2014 को मोदी सरकार ने इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू करने की घोषणा की. उस वक्त दिल्ली के राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है." इस आंदोलन ने बड़े शहरों से लेकर गांवों तक में स्वच्छता को लेकर एक अलख जगाई.

स्वच्छता की ओर काफी तेजी से आगे बढ़ा है देश. चाहे वह राष्ट्रीय स्तर पर शहरों के स्वच्छता का कंपटीशन हो या फिर सूखे और गीले कचरे में फर्क करना हो, शहरों में बड़ी-बड़ी सीवर लाइनों का निर्माण कराना हो या घर-घर तक शौचालय बनवाना हो. नरेंद्र मोदी सरकार के इन कदमों ने देश में लोगों को स्वच्छता की ओर सोचने पर मजबूर किया और इसे एक बड़ी मुहिम बना दी. घर-घर शौचालय पहुंचने से खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या में काफी हद तक कमी आई है. ग्रामीण इलाकों में यह बड़ी समस्या थी जो अब खत्म हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में 1.96 लाख करोड़ रुपए की लागत से 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराने की योजना बनाई थी, जिसे 2 अक्टूबर 2019 में ही यानि महात्मा गांधी की 125 वीं वर्षगांठ तक संपन्न कर दिया गया.

5- नोटबंदी, जीएसटी के ऐतिहासिक फैसले
8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम एक ऐसा संबोधन दिया जिसने सबको चौंका दिया. दरअसल प्रधानमंत्री ने देश में चल रहे 500 और 1000 रुपए की करेंसी नोट को प्रचलन से बाहर करने का निर्णय लिया था. यानि अब 1000 और 500 के नोट देश में नहीं चलेंगे. मोदी सरकार का इसके पीछे तर्क था कि इससे भ्रष्टाचार, काला धन और आतंकवाद पर लगाम लगेगी. विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले की खूब मुखालफत की, लेकिन 2019 के चुनाव में जिस तरह से देश की जनता नरेंद्र मोदी के साथ रही उसने बता दिया की नोटबंदी का फैसला जनता को स्वीकार था.

वस्तु एवं सेवा कर, जिसे शॉर्ट फॉर्म में जीएसटी और अंग्रेजी में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कहा जाता है. भारत में इसे 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था और नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे भारत की स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया था. जीएसटी आने से केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग दरों पर लगाए जा रहे कई टैक्सों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्यक्ष टैक्स प्रणाली लागू की गई. इससे भारत के व्यापारी वर्ग को बहुत लाभ पहुंचा. हालांकि देश की विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरने की खूब कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहीं.

6- तीन तलाक कानून
1 अगस्त 2019 को देश में एक ऐसा कानून लागू हुआ जिसने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं कि जिंदगी बदल दी. तीन तलाक जैसे रूढ़िवादी परंपरा ने मुस्लिम समाज में कई महिलाओं की जिंदगी बर्बाद की थी इसलिए कई वर्षों से उनकी मांग थी कि इसे खत्म किया जाए लेकिन वोट बैंक की राजनीति के चलते तमाम पिछली सरकारों ने इस मुद्दे पर कुछ भी करने और कहने की जहमत नहीं उठाई. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने यह निर्णय लिया कि देश में तीन तलाक जैसी अमानवीय परंपरा नहीं रहेगी.

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, तीन तलाक कानून लागू होने के बाद देश में तीन तलाक के मामलों में 80 फ़ीसदी की कमी आई थी. मोदी सरकार द्वारा किया गया यह एक ऐसा समाज सुधार है जिसे सदियों तक याद किया जाएगा. जैसे बाल विवाह को रोकने के लिए राजा राममोहन रॉय का संघर्ष याद किया जाता है.

7- जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म
5 अगस्त 2019 की तारीख हिंदुस्तान में हमेशा के लिए दर्ज हो गई. दरअसल इसी दिन भारतीय संसद से जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 और 35A को खारिज कर दिया गया था. यह मांग संघ कई वर्षों से करता आ रहा था. लेकिन इसे पूरा किया नरेंद्र मोदी सरकार ने. आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. देश में यह एक ऐसा मुद्दा था जिसे छूने से भी राजनीतिक पार्टियां डरती थीं. लेकिन मोदी सरकार ने अपने दृढ़ संकल्प से एक ऐसे काम को कर दिखाया जो वर्षों से भारत की जनता को और राजनीति कर रहे नेताओं को नामुमकिन लगता था. आज कश्मीर में शांति का जो दौर शुरू हुआ है, निसंदेह उसके पीछे इस फैसले का ही जोर है. कश्मीर में दशकों बाद कश्मीरी पंडितों ने इस साल जन्माष्टमी पर जुलूस निकाला जो लाल चौक से गुजरा. बरसो बाद कश्मीर पर्यटकों से गुलजार हो रहा है.

8- आरएसएस का हर सपना पूरा किया, देश के कोने-कोने तक बीजेपी की पहुंच
यह प्रधानमंत्री के पिछले सात सालों में किए गए कामों का ही नतीजा है कि आज भारतीय जनता पार्टी केवल उत्तर भारत की पार्टी के बजाय अब अखिल भारतीय पार्टी के रूप में उभरी है. ईस्ट में असम, त्रिपुरा हो या पश्चिम बंगाल. बीजेपी का वजूद हर जगह है. पार्टी पुडुचेरी में जगह बनाने के बाद दक्षिण विजय के द्वार पर खड़ी है. पर सरकार को आर्थिक मोर्चे पर मिली असफलता बहुत चिंता का विषय है. बांग्ला देश जैसी अर्थव्यवस्था का हमसे आगे निकलना यह साबित करता है कि सरकार से कुछ गलतियां हुईं हैं.

-राम मंदिर का निर्माण
9 नवंबर 2019 को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. यह फैसला एक सदी से चल रहे उस विवाद का अंत था जिसने दो समुदायों के बीच एक खाई पैदा कर दी थी. फैसला आने के बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी और भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ. इसकी पूरी उम्मीद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यानि 2023 तक यह भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा.

-सूट-बूट की सरकार से लोककल्याणकारी राज्य तक
बीते कई दशकों से देश की जनता को यह एहसास हो गया था कि केंद्र में आने वाली सरकार हमेशा कॉरपोरेट जगत की सरकार होती है. जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो उन पर सूट-बूट वाली सरकार का ठप्पा लग गया था. बीजेपी को वोट देकर सत्ता में लाने वाले भी नहीं जानते थे कि ये सरकार इस कदर गरीबों की सरकार बन जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान कार्ड बनाकर 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा देना हो या फिर उज्ज्वला योजना के तहत घर-घर तक सिलेंडर पहुंचाना हो, जनधन खाते के जरिए हर गरीब को बैंक से जोड़ देना हो सभी योजनाओं के केंद्र में गरीब ही थे.

-अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
'योग' जो प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार है, आज भारत से निकलकर दुनिया भर में अपना डंका बजा रहा है तो इसके पीछे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही सोच है. दरअसल 27 सितंबर 2014 को जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण दे रहे थे तो वहीं उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की बात कही थी. जिसे 21 जून 2015 में संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा मान्यता मिल गई थी. तभी से दुनिया भर में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा. 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, जिसमें तकरीबन 36000 लोग शामिल हुए और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने भी 21 योग आसन कर इसमें भाग लिया था.

9- कांग्रेस जो काम न कर सकी उनको भी पूरा किया
साल 2014 से अब तक प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में देश में कुछ ऐसी योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा रहा है जिसे कभी कांग्रेस पार्टी खुद करने का सपना देखती थी. लेकिन वह इसे पूरा करने के लिए अपने दशकों के शासन काल में भी हिम्मत नहीं कर सकी. यहां तक कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जिसका आज कांग्रेस जबरदस्त विरोध कर रही है कभी यूपीए सरकार की प्लानिंग का हिस्सा था. कांग्रेस नेताओं ने ही नए संसद भवन के निर्माण के लिए पत्र लिखे थे और यूपीए सरकार ने इस प्रस्ताव को अपना समर्थन भी दिया था.

जीएसटी, 2017 में नरेंद्र मोदी ने जरूर लागू किया पर जीएसटी लाने की कोशिश कांग्रेस सरकार ने ही की थी. 2007 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करने की घोषणा की थी. हालांकि कांग्रेस पार्टी ऐसा कर नहीं सकी. इसी तरह गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात बहुत पहले से होती आ रही है, जिसका समर्थन कांग्रेस समेत कई पार्टियां करती आ रही हैं. लेकिन इसे आज तक कोई लागू नहीं करवा पाया था.

दिल्ली के किनारे पेरीफेरल एक्सप्रेसवे हो या फ्रेट रेलवे को एक नया आयाम देने वाला फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट जो 2006 में कांग्रेस सरकार में शुरू हुआ था. लेकिन 2014 तक 8 सालों में इस पर ज्यादा काम नहीं हो पाया, हालांकि जब 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट को मुख्यता से लेते हुए तेजी से इस पर काम किया.


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