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वैज्ञानिक और चिकित्सीय क्षमताओं
Divyahimachal .
भारत में कोरोना रोधी टीके की 100 करोड़ 62 लाख 28,153 खुराकें देना कभी सपना लगता था। हमारी वैज्ञानिक और चिकित्सीय क्षमताओं के मुताबिक, यह असंभव, अप्रत्याशित, अकल्पनीय-सा लगता था, लेकिन आज ऐतिहासिक कीर्तिमान का इतिहास लिखा जा रहा है। देश के पात्र वयस्कों में से 75 फीसदी को कमोबेश एक खुराक दी जा चुकी है, जबकि करीब 31 फीसदी वयस्कों में दोनों खुराकों के साथ पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है। यह पड़ाव पाने में 279 दिन ही लगे। करीब 52 फीसदी पुरुषों और करीब 48 फीसदी महिलाओं में टीकाकरण के जरिए सुरक्षा-कवच पहनाया जा चुका है। यकीनन भारत के लिए यह कालजयी कीर्तिमान है। जो देश कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी को नहीं जानता था, रोग के लक्षण और इलाज के अनुसंधान नहीं हुए थे, 100 साल बाद की एक और भयावह, जानलेवा महामारी अचानक देश में फैलने लगी थी, लगभग दुनिया ही उस महामारी की जकडऩ में आ चुकी थी, उस देश में 100 करोड़ के पार खुराकें मुहैया कराना वाकई कल्पनातीत था। उस दौर में देश के राजनीतिक नेतृत्व, वैज्ञानिकों, टीका उत्पादक दो प्रमुख कंपनियों ने संकल्प लिया, बीड़ा उठाया और असंभव को साकार करके दिखा दिया। आज दुनिया हैरान है और भारत की पीठ थपथपा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रधानमंत्री मोदी के जरिए भारत की खूब प्रशंसा की है, लेकिन यह सफऱ आसान नहीं था।
भारत बायोटेक पूरी तरह स्वदेशी कंपनी है, जिसने कोवैक्सीन टीके पर शोध किया और फिर परीक्षणों के बाद उत्पादन शुरू किया। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी भारतीय कंपनी है, जो विश्व के करीब 65 फीसदी टीकों का उत्पादन करती है। बेशक अनुसंधान एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का था, जिनका पंजीकरण ब्रिटिश है, लेकिन कोविशील्ड टीके का निर्माण और उत्पादन सीरम में ही जारी है। उसने करीब 88 फीसदी टीकाकरण किया है। सीरम ने हमारी मांग के अनुरूप आपूर्ति की और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण को थमने नहीं दिया। ढेरों आरोप लगे। कई सवाल उठाए गए। टीके में गौ के बछड़े का खून मिलाया गया है, ऐसे आरोप के जरिए सांप्रदायिक भावनाओं को उबाल दिया गया। विपक्ष के नेताओं की हत्या करने तक की साजि़श करार दी गई। टीके में सूअर की चर्बी सरीखा दुष्प्रचार भी किया गया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने टीकाकरण पर 'श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की। 2020-21 में हमने दो भीषण, भयंकर और हत्यारी कोरोना-लहरों को भी झेला है। देश में 4.50 लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं। यह सरकारी आंकड़ा है। सरकार की तरफ से ही कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल का मानना है कि बेशक यह शानदार उपलब्धि है, लेकिन टीकाकरण में निरंतरता जरूरी है। हमारा मिशन तब पूरा होगा, जब देश की संपूर्ण वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराकें मिल चुकी होंगी और सुरक्षा-कवच मजबूत होगा। अब भी 10 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें दूसरी खुराक भी दे दी जानी चाहिए थी। अभी 25 फीसदी आबादी अद्र्ध-टीकाकृत है, लिहाजा अभी हम 'हर्ड इम्युनिटी का दावा नहीं कर सकते। बहरहाल कोरोना के मद्देनजर जो सुरक्षा-कवच हमने धारण किया है, वह भी दुनिया के कई बड़े देशों की तुलना में सराहनीय है। हमने अमरीका से 58 करोड़ से ज्यादा टीके लगाए हैं। ब्रिटेन और फ्रांस से 10 गुना और जर्मनी से 9 गुना अधिक टीके भारत में लगाए गए हैं।
हम रूस और जापान से भी बहुत आगे हैं। जिस देश ने 'शून्य से शुरुआत की थी, आज यह स्थिति है कि दिसंबर, 2021 तक हमारी पूरी वयस्क आबादी में कमोबेश एक खुराक देने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। दुनिया के 57 देशों में आज भी कोरोना संक्रमण फैल रहा है, रूस में हररोज़ 1000 से ज्यादा मौतें हो रही हैं। हम अपने वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के बेहद आभारी हैं, जिन्होंने नए युग की 'संजीवनी का अनुसंधान किया। हालांकि इलाज के दौर में 1500 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस जंग में 'शहादत भी दी है। इस सुरक्षा-कवच के कारण भारत में तीसरी लहर की संभावनाएं भी कम हुई हैं, लेकिन इस त्योहारी मौसम में हमें कोरोना संबंधी प्रोटोकॉल का कड़ा पालन करना है, ताकि यह शानदार उपलब्धि अब किसी त्रासदी की ओर न धकेली जा सके। कोरोना की तीसरी लहर की बार-बार चर्चा हो रही है। इसे हम तभी रोक सकते हैं जब हम सतर्क रहेंगे।
Gulabi
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