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पीएम मोदी की संकल्प शक्ति
संकल्प से सिद्धि' तक की परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की और इसी मंत्र को अपनाते हुए उनके नेतृत्व में देश ने आज 100 करोड़ वैक्सीन का डोज़ पूरा किया. 100 करोड़ वैक्सीन के डोज़ का आंकड़ा सुनने में जितना बड़ा लक्ष्य लगता है उसे पूरा करना उतनी ही बड़ी चुनौती थी. और वह भी ऐसी महामारी के खिलाफ जिसके बारे में पूरी दुनिया अनजान थी. लेकिन प्रधानमंत्री ने इस चुनौती को स्वीकार किया और आज देश ने 100 करोड़ वैक्सीन के आंकड़े को प्राप्त कर लिया. पढ़िए इस सफर की दास्तान –
कोरोना महामारी के खिलाफ 100 करोड़ वैक्सीनेशन का सफर आसान नहीं था. अगर इस वैक्सीनेशन के सफर को देखें तो सबसे बड़ी चुनौती वैक्सीन को बनाने की थी. वैक्सीन ऐसी बीमारी के खिलाफ जो पूरी दुनिया में बंदी करवा चुका था, साथ ही साथ अपना रूप और स्वरूप बदल रहा था. प्रधानमंत्री ने भी इस वायरस को बहरूपिया बताया था. लेकिन प्रधानमंत्री ने स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया और इसे बनाने के लिए वैज्ञानिकों को प्रेरित किया. इसके साथ ही साथ प्रधानमंत्री ने वैक्सीन निर्माण को लेकर होने वाली लालफीताशाही को भी खत्म करने का फैसला लिया. यही कारण रहा कि 10 साल में विकसित की जाने वाली सामान्य वैक्सीन प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 10 महीने में बन करके तैयार हो गई.
27 मार्च 2020 को पीएम केयर्स फंड बनाया गया और इस फंड में भारत के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्तमंत्री मुख्य ट्रस्टी के तौर पर शामिल किया गया. इसी पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये वैक्सीन रिसर्च के लिए दिए गए और यहीं से शुरू होता है वैक्सीन रिसर्च का सिलसिला. प्रधानमंत्री ने वैक्सीन निर्माण को खुद मॉनिटर किया और ट्रायल प्रोसेस में तेजी लाने के लिए अहम फैसले लिए. साथ ही साथ महामारी की भयावहता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने वैक्सीन के इमरजेंसी यूज़ की भी इजाजत दिलवाई. हालांकि इस प्रक्रिया में पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाया गया.
प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी की शुरुआत में ही यह तय कर लिया था कि जब भारत विश्व की अन्य वैक्सीन का 60 फ़ीसदी उत्पादन करता है, तब वह इस संकट के समय में अपने लिए वैक्सीन पर रिसर्च क्यों नहीं कर सकता और यहीं से शुरू हो गई कोरोना के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने की कवायद. इसी का असर रहा कि भारत में दो स्वदेशी वैक्सीन जल्द ही विकसित कर ली गईं. एक कोवैक्सीन जिसे भारत बायोटेक ने तैयार किया और दूसरी कोविशील्ड जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने तैयार किया.
लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना अहम चुनौती
वैक्सीन निर्माण के साथ-साथ इसे लोगों तक पहुंचाना और वैक्सीन के प्रति लोगों में विश्वास बनाना भी पीएम के लिए एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन पीएम के दृढ़ निश्चय और उनके प्रति लोगों के विश्वास के कारण वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू हो गई और आज यह आंकड़ा 100 करोड़ डोज को छू गया है. वैक्सीन को लोगों तक सफलतापूर्वक पहुंचाई जाए इसके लिए पूरे देश में कोल्ड चेन का निर्माण किया गया और इस काम में एयरपोर्ट की भी मदद ली गई. सही व्यक्ति और लक्षित व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचे इसके लिए कोविन एप्प को विकसित किया गया.
कोविन ऐप के माध्यम से लक्षित व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाई गई साथ ही साथ इसकी कालाबाजारी को भी खत्म किया गया. पीएम ने वैक्सीन प्रक्रिया में वीआईपी कल्चर को भी खत्म किया और सभी की पाली आने पर ही उन्हें वैक्सीन दी गई. 16 जनवरी को जब वैक्सीनेशन की प्रक्रिया देशभर में शुरू हुई तब सबसे पहले हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को ही वैक्सीन दी गई. पीएम का मानना था कि वैक्सीन की सबसे ज्यादा जरूरत इन्हीं हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को है और इसलिए सबसे पहला हक वैक्सीन पर इन्हीं का होना चाहिए. पीएम ने स्वयं 1 मार्च 2021 को वैक्सीन की पहली डोज ली. वह भी तब जब उनकी पाली आई.
हालांकि बीच में वैक्सीनेशन प्रक्रिया में कई राज्यों ने सीधे वैक्सीन खरीदने और इसे राज्य के लोगों को लगवाने की पहल की, लेकिन जब वह इस कार्य में असफल हो गए तो पूरी जिम्मेदारी केंद्र ने उठाई. और पीएम के सशक्त नेतृत्व में आज 100 करोड़ का आंकड़ा हासिल कर लिया गया.
पीएम ने अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया
वैक्सीनेशन प्रक्रिया में व्यावहारिक चुनौती के साथ-साथ पीएम को अपने राजनीतिक विरोधियों का भी सामना करना पड़ा. कुछ राजनीतिक पार्टियों और नेताओं ने वैक्सीन के ट्रायल पर सवाल खड़े किए तो कुछ नेताओं ने वैक्सीन वितरण की प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए. लेकिन पीएम ने इन सबके बावजूद अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया और इसी का कारण है कि आज देश 100 करोड़ वैक्सीनेशन का जादुई आंकड़ा छूने में सफल रहा.
भारत जैसे विकासशील देश के लिए सभी व्यक्तियों को वैक्सीन मिले इसके लिए भी प्रधानमंत्री ने सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीनेशन की व्यवस्था की. शुरुआत में फ्रंटलाइन वर्कर और मेडिकल स्टाफ के लिए निशुल्क वैक्सीनेशन की व्यवस्था की गई. इसके लिए मौजूदा बजट में वैक्सीनेशन के लिए लगभग 36 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया.
हालांकि वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ डोज़ का हो गया है, लेकिन बच्चों के लिए वैक्सीनेशन अभी भी बाकी है. लेकिन पीएम के दृढ़ संकल्प के कारण भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन अपने परीक्षण के अंतिम दौर में है और आने वाले कुछ ही दिनों में बच्चों को भी वैक्सीन देने की शुरुआत हो जाएगी.
वैक्सीन को लेकर शोध निर्माण और इसे लोगों तक पहुंचाना ही पिछले 18 महीने तक पीएम के लिए चुनौती नहीं थी. पीएम के सामने लोगों को सुरक्षित रखना और अर्थव्यवस्था को बचाए रखना भी महत्वपूर्ण था. अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पीएम ने 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. साथ ही लोगों को बचाने के लिए सही समय पर लॉकडाउन, मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराना, गरीब कल्याण अन्न योजना आदि को लागू किया. इन सभी चुनौतियों के साथ देश में जिस तरह से 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन की डोज़ के लक्ष्य को हासिल किया गया है, ये पीएम के मजबूत इरादे को ही दर्शाता है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विनीत कुमार, विशेष संवाददाता
देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान आईआईएमसी दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद 2008 से नेटवर्क 18 से जुड़ गए. इस समय न्यूज 18 में विशेष संवाददाता हैं.
Gulabi
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