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भारत में हर पांचवां व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है और हर चौथा नागरिक अशिक्षित है। समझने वाली बात यह भी है कि किसी के पास मोबाइल होना डिजिटल हो जाने का प्रमाण नहीं है, जब तक कि उसके पास इंटरनेट आदि की सुविधा व जानकारी न हो।प्रौद्योगिकी मानवता के लिए बड़ी धरोहर और संपदा है। जब देश में डिजिटल शासन की बात होती है तो नए प्रारूप और एकल खिड़की संस्कृति मुखर हो जाती है। नागरिक केंद्रित व्यवस्था के लिए सुशासन प्राप्त करना एक लंबे समय की दरकार रही है। ऐसे में डिजिटल शासन इसका बहुत बड़ा आधार है। यह एक ऐसा क्षेत्र है और एक ऐसा साधन भी है जिससे नौकरशाही तंत्र का समुचित प्रयोग कर व्याप्त कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है।
देखा जाए तो नागरिकों को सरकारी सेवाओं की आपूर्ति और प्रशासन में पारदर्शिता की वृद्धि के साथ व्यापक नागरिक भागीदारी के मामले में डिजिटल शासन कहीं अधिक प्रासंगिक है। डिजिटल शासन चुस्त और सुव्यवस्थित ई-सरकार का ताना-बाना है। प्रौद्योगिकी वही अच्छी होती है जो जीवन आसान करती हो, जनोपयोगी नीतिगत अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित करती हो और संतुलन कायम रखने में कमतर न हो।
आज डिजिटल सेवाएं अपेक्षाकृत कम जटिल और अधिक प्रभावी तो हैं, मगर डिजिटल शासन की सफलता के लिए मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करना जरूरी है। सरकार के समस्त कार्यों में प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग ई-शासन कहलाता है, जबकि न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन, प्रशासन में नैतिकता, जवाबदेही, उत्तरदायित्व की भावना व पारदर्शिता दक्ष सरकार के गुण हैं, जिसकी पूर्ति डिजिटल शासन के बगैर संभव नहीं है। पड़ताल बताती है कि डिजिटल शासन की रूपरेखा पांच दशक पुरानी है।
jansatta
Admin2
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