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सम्पादकीय
दिलीप कुमार: दिल को तेरी ही तमन्ना, दिल को है तुझसे ही प्यार
Tara Tandi
7 July 2021 9:08 AM GMT
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मशहूर अभिनेता, जाने-माने अभिनेता, सदी के अभिनेता,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मनीषा पांडेय| मशहूर अभिनेता, जाने-माने अभिनेता, सदी के अभिनेता, ऐसी कोई उपमा उस शख्स के लिए काफी नहीं लगती, जो 98 साल की लंबी और भरपूर जिंदगी जीकर अब इस फानी दुनिया से रुखसत कर चुके हैं. अभिनेता दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ कहानी अपनी ही जिंदगी, अपनी ही शख्सियत के पार जाने की कहानी है. जीवन में आगे बढ़ते हुए इंसान अकसर दूसरों को मिसाल बना रहा होता है, दूसरों की कहानी को एक पैरामीटर या चुनौती की तरह अपने सामने रखता है और उससे आगे निकल जाने के अरमान बुनता है, लेकिन दिलीप कुमार साहब के साथ ऐसा न हुआ. दिलीप कुमार के सामने चुनौती वो खुद थे, पैरामीटर भी वो खुद ही थे. हर बार खुद को ही पीछे छोड़ते, खुद से ही आगे निकलते हुए.
इतिहास में ऐसे कम ही लोग हुए हैं, जो लगातार खुद के लिए ही नई चुनौती खड़ी करते और नई मिसालें कायम करते रहे हों. शायद अल पचीनो की दुनिया से रुखसती पर ये बात कही जा सकती है कि माइकल की प्रतिस्पर्द्धा खुद माइकल से ही थी. कोई और था ही नहीं आसपास उस कद, उस शख्सियत का इंसान, जिससे उसकी तुलना की जा सकती.
दिलीप कुमार अपनी आत्मकथा में अपनी कहानी पहले ही सुना चुके हैं. उनके बारे में अब अगर कुछ नया जानने को होगा भी तो वो उनके साथ ही चला गया. हम उनकी उतनी ही कहानी जानते हैं, जितनी उन्होंने सुनाई. उतना ही झांककर देखा है उनके भीतर, जितना उन्होंने हमें देखने दिया. बाकी सब उनका सरमाया था. उनके साथ ही चला गया.
दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो हमेशा उनके साथ रही हैं. जब दिलीप कुमार के पार्थिव शरीर को अस्पताल से घर ले जाया जा रहा था तब भी सायरा बानो वहां उनके साथ मौजूद थीं.
सायरा बानो
16 की लड़की 38 का लड़का और पहली नजर की मुहब्बत
जिंदगी की और तमाम किस्सों के बीच एक किस्सा मुहब्बत का भी है, जिसकी गिरहें खुलते-खुलते खुलती हैं. एक कहानी तो वो है, जो हम सब जानते हैं. दिलीप कुमार और सायरा बानो की. 12 साल की उम्र में किया गया प्रेम और 55 साल की शादी. दिलीप कुमार ने तो सायरा के पहले भी प्रेम किया था, प्रेम को जाना और जिया था, लेकिन सायरा के लिए तो दिलीप कुमार पहली और आखिरी मुहब्बत थे. दोनों के बीच 22 साल का लंबा फासला था. 1966 में जब दिलीप कुमार ने सायरा बानो से शादी की तो वो महज 20 साल की थीं. दिलीप 42 साल के. जीवन में कई प्रेम फरमा चुके थे. दिल लगा चुके थे, दिल तुड़वा चुके थे. लेकिन सायरा तो दिलीप साहब को तभी दिल दे चुकी थीं, जब वो महज 12 साल की थीं. दिलीप हिंदी फिल्मों के स्थापित अभिनेता था. नन्ही सायरा ने जब पहली बार सिनेमा के पर्दे पर दिलीप कुमार को देखा तो इल्म न था कि ये जो दिल में हो रहा है, वो क्या है. कुछ वक्त लगा ये राज खुलने में कि सायरा तो दिलीप की मुहब्बत में गिरफ्तार हो चुकी थी.
सायरा की मां नसीम बानो खुद भी अभिनेत्री थीं. सायरा को शुरू से पता था कि वो फिल्मों में काम करेंगी, इसलिए 13 साल की उम्र से ही उन्होंने कत्थक और भरतनाट्यम की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उस जमाने में फिल्मों में काम करने के लिए हिरोइन का डांसर होना बहुत जरूरी था. 16 साल की उम्र में शम्मी कपूर के साथ उन्होंने पहली फिल्म की- जंगली. फिल्म सुपरहिट रही. अब तो सायरा खुद फिल्मों में आ चुकी थीं और इस उम्मीद में थीं कि जल्दी ही उन्हें दिलीप कुमार के साथ भी काम करने का मौका मिलेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि दिलीप कुमार उनके साथ कोई फिल्म साइन ही नहीं करते थे. उन्हें लगता कि ये लड़की उम्र में बहुत छोटी है. पर्दे पर उनकी जोड़ी बहुत बेमेल लगेगी. सायरा बानो की उम्मीद हर बार टूट जाती. उन्हें ये फिक्र सताती रहती कि वो कैसे दिलीप कुमार को ये यकीन दिलाएं कि अब वो कोई बच्ची नहीं हैं.
खैर, दिलीप साहब को खुद ही जल्द ही इस बात का यकीन हो गया, जिसका जिक्र उन्होंने विस्तार से अपनी आत्मकथा में किया है. तो हुआ कुछ यूं कि एक बार नसीम बानो से मिलने दिलीप कुमार उनके घर जा पहुंचे. घर पर सायरा बानो भी थीं. जब दिलीप कुमार कार से उतरे तो उन्होंने देखा कि सामने बनारसी ब्रोकेड सारी में एक खूबसूरत सी लड़की खड़ी है. वो कतई बच्ची जैसी नहीं दिख रही थी. उसका रूप और सौंदय अपने उफान पर था. उन्होंने जो देखा तो देखते ही रह गए. उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि वो नाहक ही अब तक सायरा को बच्ची समझकर इग्नोर किए जा रहे थे. ये तो स्वर्ग से उतरी किसी अप्सरा के मानिंद जान पड़ती है. वही क्षण था, जब दिलीप भी साायरा को अपना दिल दे बैठे. अब ये एकतरफा मुहब्बत नहीं रह गई थी. किसी शायर ने लिखा भी है-
उल्फत का मजा तब है, जब हों दोनों बेकरार,
दोनों तरफ लगी हुई हो आग बराबर.
बस यही हो गया था. एक ओर से भड़की चिंगारी ने दूसरी ओर भी आग लगा दी थी. प्रेम कहानी की शुरुआत हो चुकी थी.
नसीम बानो खुद इस रिश्ते को लेकर बड़ी बेसब्र सी थीं. खुद ही दिलीप कुमार के पास जा पहुंची और बोलीं, सायरा से प्यार करते हो तो उससे प्यार का इजहार कर दो. शादी कर लो. 1961 में सायरा की पहली फिल्म आई थी जंगली. उसके बाद उन्होंने धड़ाधड़ एक के बाद एक 9 फिल्में और कर डाली थीं- शादी, ब्लफमास्टर, आई मिलन की बेला, अप्रैल फूल, आओ प्यार करें, दूर की आवाज, साज और आवाज.
और इसके तुरंत बाद 1966 में सायरा बानो दिलीप कुमार के साथ प्रेम के आजीवन बंधन में बंध गईं. उनकी चारों सुपरहिट फिल्में शागिर्द, दीवाना, अमन और पड़ोसन शादी के अगले साल रिलीज हुईं. शादी के बाद उनका फिल्मों में काम करना बहुत कम हो गया. लेकिन 1975 तक वो कुछ-कुछ फिल्मों में नजर आती रहीं.
सायरा को अपना फिल्मी कॅरियर खत्म हो जाने का कोई गम नहीं था. उन्होंने तो वो चीज पा ली थी, जो जीवन में सबसे ज्यादा कीमती थी. दिलीप कुमार की मुहब्बत. जिस शख्स पर देश की हजारों-हजार लड़कियां जान छिड़कती थीं, जिसके नाम को आहें भरती थीं, वो अब हमेशा-हमेशा के लिए सायरा बानो का हो चुका था.
जिसके प्रेम में पागल थे, उसके ही खिलाफ अदालत के कटघरे में खड़े थे
1950 का साल था. दिलीप कुमार और मधुबाला साथ फिल्म तराना की शूटिंग कर रहे थे. सेट पर होने वाली औपचारिक मुलाकातें धीरे-धीरे दोस्ती और दोस्ती प्यार में बदल गई. मधुबाला इस कदर दिलीप कुमार के प्रेम में डूब गई थीं कि उनसे इस बात का इंतजार भी न हुआ कि इजहार-ए-मुहब्बत पहले दिलीप कुमार की तरफ से हो. एक दिन उन्होंने दिलीप कुमार को एक गुलाब का फूल भेजा और साथ में एक खत भी. खत में लिखा था कि अगर आपको मुझसे मुहब्बत है तो मेरे प्रेम का यह तोहफा कुबूल कर लें. दिलीप कुमार ने तोहफा कुबूल कर लिया.
प्रेम चल निकला और परवान चढ़ गया. जब दोनों साथ फिल्में कर रहे होते, तब तो साथ होते ही थे, लेकिन अगर मधुबाला किसी और फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हों तो दिलीप कुमार वहां पहुंच जाते थे. यह प्रेम अब कोई छिपी हुई बात नहीं रह गई थी. पूरी फिल्मिस्तान मुहब्बत के इस अफसाने से वाकिफ था. मीडिया में गाहे-बगाहे खबरें छप ही जाती थीं.
अखबार में छपी ऐसी ही एक खबर से मधुबाला के पिता अताउल्ला खां को इस मुहब्बत का इल्म हो गया. फिर क्या था, उन्होंने मधुबाला को सख्त हिदायत दी कि दिलीप कुमार से दूर रहे. मधुबाला दिलीप कुमार से शादी करना चाहती थीं और अब्बा इस शादी के सख्त खिलाफ थे. मधुबाला का कॅरियर शुरू ही हुआ था. वो अकूत दौलत कमा रही थीं और पिता को डर था कि एक बार बेटी की शादी हो गई तो उनकी सोने के अंडे देने वाली मुर्गी हाथ से जाती रहेगी.
ऐसा नहीं है कि पिता सिर्फ दिलीप कुमार से मधुबाला की शादी के खिलाफ थे. वो किसी से भी शादी के खिलाफ थे. वो चाहते ही नहीं थे कि मधुबाला अपना घर बसाए. वो घर में इकलौती कमाने वाली थी. पूरा परिवार एक अकेले उसकी कमाई पर ऐशो-आराम की जिंदगी बसर कर रहा था.
पिता ने मधुबाला को इतनी इजातत तो दे दी थी कि वो दिलीप के साथ फिल्में करती रहें और सेट पर उनसे मिलती भी रहें, लेकिन सेट के अलावा अलग से मिलने, घूमने पर सख्त पाबंदी थी.
ये तब की बात है, जब बी.आर. चोपड़ा नया दौर फिल्म बना रहे थे. फिल्म में पहले वैजयंतीमाला की जगह मधुबाला ही हिरोइन थीं, लेकिन बीच में फिल्म की शूटिंग मध्यप्रदेश में होनी थी. जब अताउल्ला खां को ये पता चला कि मधुबाला दिलीप कुमार के साथ शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश जाने वाली थीं तो उन्हें डर लगा कि कहीं वहां अकेले साथ रहने पर दोनों के बीच प्रेम और नजदीकियां बढ़ न जाएं. उन्होंने मधुबाला को वहां भेजने से साफ इनकार कर दिया. बी.आर. चोपड़ा ने काफी कोशिश की कि किसी तरह अताउल्ला खां को मना लिया जाए क्योंकि मधुबाला को लेकर अच्छी-खासी फिल्म शूट की जा चुकी थी. अब नई हिरोइन के साथ फिर से फिल्म शूट करने का मतलब था कि फिल्म का बजट दुगुना हो जाता.
अलविदा ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार
लेकिन मधुबाला के पिता का कहा मानो पत्थर की लकीर. वो अपने फैसले से टस से मस न हुए. मधुबाला को फिल्म छोड़नी पड़ी.
बी.आर. चोपड़ा इस घटना से इतने नाराज हुए कि उन्होंने मधुबाला के खिलाफ कोर्ट में केस कर दिया. उस मुकदमे की सुनवाई में बी.आर. चोपड़ा की कंपनी की तरफ से दिलीप कुमार की कोर्ट में पेशी हुई और उन्होंने मधुबाला के खिलाफ बयान दिया. हालांकि बी.आर. चोपड़ा ने बाद में वो केस वापस ले लिया था क्योंकि अगर मधुबाला केस हार जातीं तो उन्होंने जेल जाना पड़ता. बी.आर. चोपड़ा ने गुस्से में मुकदमा तो कर दिया था लेकिन वो भी जानते थे कि इसमें गलती मधुबाला की नहीं थी. उनके पिता ही इतने सख्तमिजाज आदमी थे और स्त्रियों का हाल तो तब भी ऐसा था कि आत्मनिर्भर होने और अपने पैसे कमाने के बावजूद वो पिता के खिलाफ बगावत की सोच भी नहीं सकती थीं.
खैर, दिलीप कुमार ने कोर्ट में जो कहा, वो उनके और मधुबाला के पहले से डांवाडोल चल रहे रिश्ते की ताबूत की आखिरी कील साबित हुआ. दोनों प्रेम तो तब भी करते थे एक-दूसरे से, लेकिन दिल टूट चुके थे. भरोसा हिल गया था. प्यार के रिश्ते में जो एक बार दरार पड़ी तो रिश्ता फिर कभी जुड़ न सका.
दिलीप कुमार की जिंदगी में मधुबाला सिर्फ एक याद बनकर रह गईं. 1960 में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी की, लेकिन ये रिश्ता भी लंबा न चला. 1969 में महज 36 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद मधुबाला का निधन हो गया.
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