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- महंगाई की चुनौती
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर आधा फीसद और बढ़ा कर यही संदेश दे दिया है कि अभी उसकी प्राथमिकता महंगाई पर काबू पाना है। चालू वित्त वर्ष (2022-23) में यह तीसरा मौका है जब रेपो दर बढ़ाई गई है। पिछले तीन महीनों में रेपो दर में 1.4 फीसद का इजाफा हो चुका है और अब यह 5.4 फीसद पर आ गई है। केंद्रीय बैंक के इस कदम पर हैरानी इसलिए भी नहीं होनी चाहिए कि वह लगातार संकेत देता रहा है कि नीतिगत दरों को लेकर उदार रुख लंबे समय तक नहीं संभव नहीं होगा।गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण जो आर्थिक हालात बन गए थे, उनसे निपटने के लिए मई 2020 में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर 0.75 फीसद घटा दी थी। जाहिर है, नीतिगत दरों में वृद्धि को और टाल पाना मौद्रिक नीति समिति के संभव नहीं रह गया था, इसलिए मई में एमपीसी ने नीतिगत दरें बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया था। मुद्रास्फीति थामने के लिए मौद्रिक उपाय के तौर पर बड़ा हथियार नीतिगत दरों में बदलाव ही है।