सम्पादकीय

भारत विज्ञान

Admin2
8 Aug 2022 9:55 AM GMT
भारत विज्ञान
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भारत विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का एक जाना-पहचाना देश है। प्राचीन काल से आधुनिक काल तक भारत ने दुनिया को अपनी किसी न किसी वैज्ञानिक योग्यता से चौंकाया है। इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी अन्य विषय से विज्ञान की भूमिका ज्यादा होती है। जिन देशों ने विज्ञान पर ज्यादा ध्यान दिया है, वे आज विकसित हैं और जिन देशों ने विज्ञान को ज्यादा महत्व नहीं दिया, वह न केवल पिछड़े हैं, बल्कि दूसरे देशों पर निर्भरता उनकी मजबूरी है। देश के आजाद होते ही वैज्ञानिक अनुसंधान को प्राथमिकता देने वाली पंचवर्षीय योजना को आगे बढ़ाया गया था। भारत में योजना आयोग की स्थापना 1950 में कृषि, विज्ञान, बुनियादी ढांचे और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में की जाने वाली कार्रवाइयों की योजना बनाने और विचार करने के उद्देश्य से की गई थी। पहली योजना से ही देश में विज्ञान की नींव मजबूत होनी शुरू हुई थी। आजादी के बाद के दशक में ही देश में राष्ट्रीय स्तर पर ग्यारह शोध संस्थानों को मान्यता दी गई थी।

हरित क्रांति विज्ञान के दम पर ही संभव हुई। देश को भरपेट भोजन देने के लिए फसल उपज क्षमता, सिंचाई प्रणाली, प्रभावी उर्वरक, कीटनाशक, बिजली स्रोत, कृषि उपकरण के बारे में अनुसंधान की कमी थी। सरकार ने कृषि को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान को प्राथमिकता दी, तो भारत अपनी जरूरत भर का अनाज पैदा करने लगा। विज्ञान न होता, तो हम शायद अनाज के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो पाते। खेतों से लेकर अंतरिक्ष तक भारत के प्रयास धीरे-धीरे दुनिया को दिखने लगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना 1969 में भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में की गई थी। पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट था, जिसे भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया था और इसे 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया गया था। यह एक ऐसी बड़ी कामयाबी थी, जिससे देश का माथा गर्व से ऊंचा हो गया था। परमाणु क्षेत्र में भी भारत दुनिया के विशेष देशों में शामिल हो गया था। यह ऐसा दौर था, जब दुनिया के ज्यादातर देश भारत की तरक्की के प्रशंसक नहीं थे, लेकिन भारतीय जमीन पर जो वैज्ञानिक पैदा हो रहे थे, उन्हें नए-नए आविष्कारों व अभियानों से भला कौन रोक सकता था?
रक्षा के क्षेत्र में भी अगर हम आज निश्चिंत बैठे हैं, तो इसमें भी भारतीय विज्ञान की बड़ी भूमिका है। भारत लगातार अपनी मिसाइल प्रणाली को दुरुस्त करता आ रहा है। अग्नि मिसाइलों का विकास भारत की शान है। डीएनए और फिंगर पिं्रटिंग के क्षेत्र में भारत का विकास आज आदर्श है। 11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में भूमिगत पांच परमाणु बमों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था, इसके बाद दुनिया कुछ समय के लिए न केवल नाराज, बल्कि अचंभित भी हो गई थी। वह क्षण तो अतुलनीय था, जब भारत का पहला चंद्रमा मिशन 22 अक्तूबर 2008 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। ध्यान रहे, गगनयान कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा दो मानव रहित मिशन और एक मानवयुक्त मिशन को मंजूरी दी गई है। दवा व वैक्सीन के मामले में दुनिया को भारतीय विज्ञान क्षेत्र से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। हमने आजादी के 75वें वर्ष में जिस तरह टीकाकरण अभियान चलाया है, उसे तो शायद ही कोई भूल सकता है। यदि हमें महाशक्ति बनना है, तो आने वाले वर्षों में विज्ञान हमारा एक सबसे मुख्य लक्ष्य होना चाहिए।
सोर्स-hindustan
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