- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- विचार-शून्यता
representative image
शोर, हल्ला-गुल्ला, यांत्रिक ध्वनियां आधुनिकता की निशानी हैं। जैसे-जैसे मशीनों ने आदमी की जगह घेरनी शुरू कर दी, उनकी खटर-पटर बढ़ती गई, वैसे-वैसे हर वक्त आदमी के आसपास शोर बढ़ता गया है। जैसे-जैसे बाजार का आकार बढ़ता गया, वैसे-वैसे हल्ला-गुल्ला तेज होता गया है।हर वक्त का हल्ला-गुल्ला शुरू हो गया है। बिना हल्ला-गुल्ला के बाजार हो नहीं सकता। अब तो मुहल्ले का साप्ताहिक हाट भी सतत बहते बाजार में बदलता गया है। मशीन तो जैसे हमारे देह से लग गई है। मशीन का मतलब ही है, निरंतर ध्वनि। जब मशीन चलती है, तो बोलती जरूर है।ध्वनि जरूर करती है। वह बिना बोले चल नहीं सकती। और जब वह बोलती है, तो सिर्फ वही बोलती है। सुनती किसी की नहीं। मशीन पर काम करते आदमी को देखो, वह चुप है, मौन है। मशीन चल रही है, वही बोले जा रही है। उसकी ध्वनि मनुष्य को घेरे हुई है। हर तरफ मशीन का शोर है, पर मनुष्य चुप है।