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- प्रवर्तन निदेशालय
धनशोधन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की तेज होती गतिविधियों से भ्रष्टाचार में लिप्त, खासकर विपक्षी दलों के नेता खासे आहत थे। इसे लेकर उन्होंने अलग-अलग अदालतों में चुनौती दे रखी थी। सर्वोच्च न्यायालय उन सभी दो सौ बयालीस याचिकाओं पर एक जगह सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि प्रवर्तन निदेशालय को गिरफ्तारी, कुर्की और जब्ती जैसे दिए गए अधिकार वाजिब हैं। दरअसल, बीस साल पहले बने कानून में प्रवर्तन निदेशालय को गिरफ्तारी, कुर्की, जब्ती आदि का अधिकार तब तक हासिल नहीं था, जब तक वह इसका औचित्य साबित न कर दे।वर्तमान केंद्र सरकार ने उस कानून को बदल कर और कड़ा बना दिया, जिसके तहत उसे अदालत में अपना पक्ष साबित किए बगैर भी गिरफ्तारी और संबंधित व्यक्ति की संपत्ति जब्त करने का अधिकार दे दिया गया था। इसी संशोधन को अदालतों में चुनौती दी गई थी। अब जब सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारों को संवैधानिक करार दे दिया है, तो इसे लेकर न सिर्फ विवाद की गुंजाइश खत्म हो गई है, बल्कि ईडी के लिए धनशोधन से जुड़े मामलों की जांच, गिरफ्तारी आदि को लेकर मनोबल बढ़ा है। दरअसल, विवाद कानून में संशोधन को लेकर उतना नहीं है, जितना सरकार के इशारे पर ईडी के छापों को लेकर है।