सम्पादकीय

लड़ाकू विमान की दुर्घटना

Admin2
30 July 2022 12:53 PM GMT
लड़ाकू विमान की दुर्घटना
x

राजस्थान के बाड़मेर में वायुसेना के मिग-21 लड़ाकू विमान की दुर्घटना की खबर परेशान करने वाली है। इस हादसे में वायुसेना के दो पायलटों की जान चली गई। यह दुर्घटना उस समय हुई, जब दो सीट वाले इस विमान से आक्रमण का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। राजस्थान में वायुसेना के उतरलाई केंद्र से विमान ने उड़ान भरी थी और जब यह बाड़मेर के पास उड़ रहा था, उसी समय यह दुर्घटना हो गई। मिग-21 लंबे समय तक भारतीय वायुसेना का सबसे भरोसेमंद विमान रहा है। इस समय, जब वायुसेना में कई आधुनिक लड़ाकू विमान आ चुके हैं, तब भी मिग-21 इसकी रीढ़ बना हुआ है। इसे 60 साल पहले भारत ने अपने बमवर्षक बेडे़ में शामिल किया था। याद कीजिए उस सर्जिकल स्ट्राइक को, जब विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान इसी मिग-21 पर बैठ पाकिस्तान में आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों को ध्वस्त करने के लिए घुसे थे और वहां पाकिस्तान के अमेरिका में बने एफ-16 विमान को मार गिराया था। इसके पहले बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी इस विमान ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, एक के बाद दूसरी दुर्घटनाओं की वजह से रूस में निर्मित यह विमान पिछले कुछ समय से विवादों में रहा है और रह-रहकर वायुसेना से इसकी विदाई की बातें भी चलती रही हैं। ताजा दुर्घटना से वे तमाम पुराने विवाद एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं।

आंकडे़ बताते हैं कि 1970-71 से अब तक भारत में इस विमान की 400 से ज्यादा दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और इनमें 200 से ज्यादा पायलट मारे जा चुके हैं। इन दुर्घटनाओं में 50 से ज्यादा अन्य लोगों की भी जान जा चुकी है। यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने लोकसभा में बताया था कि भारत ने अब तक कुल 872 मिग-21 खरीदे हैं, जिनमें से आधे से अधिक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इन्हीं दुर्घटनाओं की वजह से इसे उड़ता हुआ ताबूत भी कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि मिग-21 ऐसा विमान है, जिसकी वजह से हमारे वायुसैनिक शांति काल में भी जान गंवा देते हैं। तकरीबन एक दशक पहले रिटायर विंग कमांडर संजीत सिंह कालिया ने अदालत में याचिका डाल मांग की थी कि इस विमान की वायुसेना से विदाई की जाए। उनकी दलील थी कि यह विमान सुरक्षित स्थितियों में काम करने के मेरे अधिकार का उल्लंघन करता है। दरअसल, संजीत सिंह कालिया खुद एक मिग-21 दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे। लेकिन भारतीय प्रतिरक्षा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस विमान से इतनी जल्दी किनारा भी नहीं किया जा सकता था।
मिग-21 दुनिया के प्रतिरक्षा कारोबार में सोवियत व्यवस्था का सबसे बड़ा प्रतीक था। सोवियत व्यवस्था तो इतिहास हो गई, लेकिन यह विमान अभी भी बहुत से देशों की प्रतिरक्षा का वर्तमान बना हुआ है। अब इसका पूरा कारोबार रूस के हवाले है। यह विमान दुनिया के कई देशों को बेचे गए थे, इसलिए इसके कल-पुर्जों का अभी भी खासा बड़ा बाजार है। कहा जाता है कि इन कल-पुर्जों की गुणवत्ता काफी खराब है, जो दुर्घटनाओं की मुख्य वजह है। ताजा दुर्घटना के कारणों का अभी पता नहीं लग सका है, लेकिन जो भी हो, अब इस पुरातन विमान को अतीत की चीज बनाने का समय आ गया है। इसे एकाएक विदाई भले न दी जा सकती हो, लेकिन चरणबद्ध तरीके से इसे रिटायर करने का टाइमटेबल बनाए जाने की जरूरत है।
HINDUSTAN


Admin2

Admin2

    Next Story