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पड़ोस में हुई हलचल से इस साल फिर इस पर ध्यान गया कि देश में सीबीएसई यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत हुई परीक्षाओं के नतीजे घोषित हो चुके हैं। और इस परिणाम के साथ ही आशा, निराशा, उल्लास और क्रोध के भाव भी चारों तरफ देखने को मिल रहे हैं। यह भाव विद्यार्थियों से ज्यादा अभिभावकों के बीच देखने को मिल रहे हैं।कहीं सत्तानबे फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए विद्यार्थी और अभिभावक परिणाम में तीन फीसद कम अंक आने का अफसोस मना रहे हैं और विद्यार्थी उस कमी को पूरा न कर पाने के बोझ से दब रहे हैं तो कहीं असफल विद्यार्थी इसे जीवन का अंतिम परिणाम मानकर हताश होकर तनाव में जी रहे हैं। इन दोनों ही स्थितियों में कई बार कुछ विद्यार्थी आत्महत्या तक पहुंच जाते हैं। इस साल भी ऐसी खबरें आर्इं ही। जबकि यह सबको अंदाजा होगा कि अंकों से तय होती प्रतिभा की परिभाषा विद्यार्थी पर मानसिक दबाव बनाती है।