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भारत में मंकीपाक्स संक्रमण के अभी भले ही चार मामले मिले हों, लेकिन इसे लेकर एक चिंता और डर पैदा होना लाजिमी है। तीन मामले केरल और एक दिल्ली में मिला है। उत्तर प्रदेश के औरैया में भी एक महिला में इसके लक्षण पाए जाने की खबरें हैं। इसका मतलब है कि अब इसके मामले सामने आने लगे हैं। ऐसे में जरा-सी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। केरल में जिन लोगों को यह संक्रमण हुआ, वे विदेश से लौटे थे
इसलिए माना गया कि यह संक्रमण बाहर से आया। लेकिन चिंता तब ज्यादा बढ़ गई जब पता चला कि दिल्ली में जिस व्यक्ति को यह हुआ, वह तो विदेश नहीं गया था, बल्कि जून के आखिरी हफ्ते में हिमाचल प्रदेश घूम कर लौटा था। वहां पर्यटन के लिए बड़ी संख्या में लोग जाते हैं। अगर ऐसे और मामले आते हैं तो निश्चित रूप से यह खतरे की बात होगी। केरल के बाहर मंकीपाक्स के मामले मिल रहे हैं तो इसके स्रोत का पता लगाना होगा और यह गहन जांच के बाद ही चल सकेगा। इसके लिए मरीजों की पहचान, जांच, उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान और फिर इलाज की रणनीति ही इससे बचाव का कारगर उपाय साबित होगी।
मंकीपाक्स को लेकर चिंता इसलिए भी बढ़ रही है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर आपात चेतावनी जारी कर दी है। आपात चेतावनी जारी करने के पीछे बड़ा कारण यह है कि यह संक्रमण के अब तक पचहत्तर देशों में सोलह हजार से ज्यादा मामले मिल चुके हैं। पिछले एक दशक में स्वाइन फ्लू, जीका और इबोला विषाणु संक्रमण फैलने पर भी ऐसी चेतावनियां जारी हुई थीं।
मंकीपाक्स को लेकर जारी आपात स्थिति का आशय यही है कि अब सतर्कता बरतनी होगी और गंभीर खतरे की सूरत में हालात से निपटने के लिए तैयारी रखनी चाहिए। लेकिन चिंता की बात अभी ज्यादा इसलिए है कि दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना संक्रमण से अभी पूरी तौर पर उबरे भी नहीं हैं। भारत में अभी भी बीस हजार मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। ऐसे में यदि मंकीपाक्स के मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही बरती गई तो स्थिति बिगड़ते में देर नहीं लगेगी।
कोरोना महामारी ने काफी कुछ सिखाया है। इस महामारी से पहले हाल के दशकों में ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिली थी जब संक्रमण से बचाव के लिए पूर्णबंदी सहित सख्त प्रतिबंधों का सहारा लिया गया हो। साथ ही, संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के तंत्र को भी मजबूत बनाने की को कोशिशें हुर्इं। देखा जाए तो मंकीपाक्स कोरोना संक्रमण से काफी अलग और पहले से ज्ञात बीमारी है। इसका टीका भी मौजूद है।
इसका विषाणु कोरोना विषाणु जैसा घातक भी नहीं है। फिर इसका फैलाव भी उतना तेज नहीं है जितना कोरोना विषाणु का है। मंकीपाक्स से संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के बेहद करीब से संपर्क में आने पर ही यह फैलता है। इसलिए बचाव के उपाय ही इससे रक्षा कर पाएंगे। लेकिन अभी जांच का विषय यह है कि बिना विदेश गए लोगों में यह संक्रमण कैसे फैला? वैसे भी पिछले कुछ दशकों में यह देखा गया है कि दुनिया के कई हिस्सों में नए-नए तरह संक्रमण फैले और इनके विषाणुओं के बदलते रूपों ने चिकित्सा विज्ञानियों के सामने चुनौती पेश की है। कोरोना विषाणु के तेजी से बदलते रूपों को दुनिया कैसे भूल सकती है, जिसने दो साल में ही करोड़ों लोगों की जान ले ली। इसलिए मंकीपाक्स से सावधान रहना है और बचाव के उपाय अपनाने में ढिलाई नहीं बरतनी है।
jansatta
Admin2
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