सम्पादकीय

भारतीय राष्ट्र की नई ताकत

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26 July 2022 9:54 AM GMT
भारतीय राष्ट्र की नई ताकत
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : सोमवार को संसद के सेंट्रल हॉल में जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की शपथ ले रही थीं, तब पूरा देश उन्हें सम्मान से देख रहा था। उनके शपथ ग्रहण के साथ देश के जनजाति और वनवासी समुदाय का सिर जिस तरह गर्व से ऊंचा उठा है, वह भारतीय राष्ट्र की नई ताकत और भारतीय राजनीति के नए विस्तार की ओर इशारा करता है। शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव को याद किया, जिसे हम कुछ ही दिनों में मनाने वाले हैं। उन्होंने कहा, 'मेरा सौभाग्य है कि आजादी के 75वें साल में मुझे यह दायित्व मिला है।' द्रौपदी मुर्मू के देश के सर्वोच्च पद पर पहंुचने से उस संकल्प और उन सपनों को एक नया आयाम मिला है, जो आजादी की लड़ाई की सबसे प्रमुख भावना थी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिसके लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। अंतिम जन को देश के शीर्ष पद पर ले जाने के संकल्प को साकार करने का इससे अच्छा अवसर कोई और हो नहीं सकता था। यह हम सबका सौभाग्य है कि स्वतंत्रता के 75वें साल में हम देश को उस दिशा में ले जा रहे हैं, जिसके लिए आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी।

राष्ट्रपति मुर्मू आर्थिक रूप से देश के सबसे पिछडे़ इलाके से आई हैं। उस इलाके से, जहां अभी चंद रोज पहले तक विद्युत आपूर्ति तक की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने जो लंबा सफर तय किया है, वह देश के राजनीतिक वायुमंडल के बारे में भी बहुत कुछ कहता है। उनके गांव में विकास की वह बयार अभी तक नहीं पहंुची है, जिसे हम प्रगति की सबसे जरूरी शर्त मानते हैं। इसके अलावा, उन्होंने पिछले 25 साल में पार्षद से लेकर राष्ट्रपति पद तक की लंबी दूर तय की है। यहां पर एक और चीज का जिक्र जरूरी है कि वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। इस तरह से देखें, तो सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और जेंडर के उन सभी स्तरों का उनके पास निजी अनुभव है, जहां बडे़ प्रयासों की जरूरत है। राष्ट्रपति के तौर पर यह अनुभव उनके बहुत काम आएगा। इसके साथ ही उनका यह अनुभव देश के लोगों के लिए भी एक आश्वासन है कि सर्वोच्च पद पर एक ऐसी हस्ती आसीन है, जो उनके दुख-दर्द को अच्छी तरह जानती-समझती है। इस सबका एक अन्य अर्थ भी है, जिसका जिक्र राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में किया, 'मेरा निर्वाचन इस बात का सुबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।'
जाहिर है, राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू का शपथ लेना भारतीय राजनीति की जड़ों के गहराने और मजबूत होते जाने की कहानी कहता है। पिछले कुछ दशकों में हमारा लोकतंत्र उन सभी लोगों को, तमाम समुदायों को मुख्यधारा में, बल्कि केंद्र ले आया है, जो कभी सत्ता-संरचना के हाशिये पर हुआ करते थे। किसी देश की सामाजिक विविधता उसकी राजनीति में भी स्थापित हो, प्रतिबिंबित हो, तो इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है! भारतीय लोकतंत्र इस मायने में अपनी परिपक्वता से दुनिया के दूसरे लोकतंत्रों के आगे आदर्श प्रस्तुत करता है। द्रौपदी मुर्मू का शिखर पर पहुंचना एक बार फिर यह बताता है कि भारत की राजनीति में अब उच्च वर्गों का एकाधिकार नहीं रहा। हालांकि, हमारी सक्रिय राजनीति में राष्ट्रपति की भूमिका सीमित होती है, लेकिन द्रौपदी मुर्मू के पास वह आभामंडल है, जो राजनीति के उतार-चढ़ावों के बीच स्थितियों को अप्रिय होने से बचा सकता है।
source-toi


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