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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : सोमवार को संसद के सेंट्रल हॉल में जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की शपथ ले रही थीं, तब पूरा देश उन्हें सम्मान से देख रहा था। उनके शपथ ग्रहण के साथ देश के जनजाति और वनवासी समुदाय का सिर जिस तरह गर्व से ऊंचा उठा है, वह भारतीय राष्ट्र की नई ताकत और भारतीय राजनीति के नए विस्तार की ओर इशारा करता है। शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव को याद किया, जिसे हम कुछ ही दिनों में मनाने वाले हैं। उन्होंने कहा, 'मेरा सौभाग्य है कि आजादी के 75वें साल में मुझे यह दायित्व मिला है।' द्रौपदी मुर्मू के देश के सर्वोच्च पद पर पहंुचने से उस संकल्प और उन सपनों को एक नया आयाम मिला है, जो आजादी की लड़ाई की सबसे प्रमुख भावना थी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिसके लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। अंतिम जन को देश के शीर्ष पद पर ले जाने के संकल्प को साकार करने का इससे अच्छा अवसर कोई और हो नहीं सकता था। यह हम सबका सौभाग्य है कि स्वतंत्रता के 75वें साल में हम देश को उस दिशा में ले जा रहे हैं, जिसके लिए आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी।