सम्पादकीय

बुलडोजर कार्रवाई

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21 July 2022 6:56 AM GMT
बुलडोजर कार्रवाई
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देश की सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक की मांग वाली याचिका पर कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। याचिका लगाने वालों को बड़ी उम्मीद थी कि अदालत का फैसला बुलडोजर के खिलाफ आएगा, लेकिन ऐसा लगता है, उनके द्वारा पेश किए गए तथ्य अकाट्य नहीं थे। अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए 8 अगस्त तक का समय दिया है और सुनवाई 10 अगस्त को होगी। हालांकि, बुधवार की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने साफ कह दिया, 'नियम का पालन होना चाहिए। इसमें कोई विवाद नहीं है। यदि स्थानीय निकाय के नियमों के मुताबिक निर्माण अवैध है, तो फिर हम कैसे उसे गिराने से रोकने के लिए आदेश दे सकते हैं।' मतलब यह कि बुलडोजर कार्रवाई करने से पहले सरकारों को नियम-कायदे देख लेने चाहिए, क्योंकि जब एक-एक घर तोड़ने के खिलाफ मुकदमे चलेंगे, तब बुलडोजर इस्तेमाल को भी परखा जाएगा। स्थानीय निकायों को पूरी तैयारी रखनी पड़ेगी कि आगे चलकर सरकार की किरकिरी न हो।

सुप्रीम कोर्ट में दोनों तरफ से जो दलीलें पेश की गई हैं, उन पर गौर करना चाहिए। जमीयत के वकील ने सरकार पर 'सेलेक्टिव एक्शन' का आरोप लगाया है। जमीयत की ओर से दलील पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, 'कोई किसी अपराध में आरोपी है, तो उसके घरों को गिराने की कार्रवाई हमारे समाज में स्वीकार नहीं की जा सकती। हम कानून के शासन से चलते हैं।' यह आम तौर पर कहा जा रहा है कि घर गिराने की सजा न्यायोचित नहीं है, लेकिन इसका जवाब यह है कि किसी भी अवैध निर्माण को ढहाना कानूनन सही है। जमीयत के वकील बुलडोजर कार्रवाई को सांप्रदायिक नजरिये से देखते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार इसे अवैध निर्माण की दृष्टि से देख रही है। सरकार की दलील है कि बुलडोजर कार्रवाई पहले से ही चल रही है, इसका हाल की पत्थरबाजी से खास लेना-देना नहीं है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह एकबारगी बुलडोजर कार्रवाई को नहीं रोक सकता, क्योंकि इससे स्थानीय निकाय कमजोर हो जाएंगे। जाहिर है, इससे अवैध निर्माण को भी बल मिलेगा। वैसे, अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल नया नहीं है। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में भी बुलडोजर का इस्तेमाल हुआ है।
सर्वोच्च अदालत की सुनवाई में एक और उल्लेखनीय दलील पेश हुई है। जमीयत के वकील ने कहा कि चुनकर एक समुदाय के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश में कोई दूसरा समुदाय नहीं है। सिर्फ एक ही समुदाय है, जिसे हम भारतीय कहते हैं। वाकई, यह जवाब आगे बढ़ाने और समाज में प्रचार लायक है। अगर बुलडोजर को रोका जाए, तो अवैध निर्माण को ही बल मिलेगा। शायद ही कोई ऐसा शहर होगा, जहां बुलडोजर की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा इस समग्र विवाद में एक बात गौर करने की है कि कानूनी रूप से मजबूत आधार पर खड़े लोगों को ही किसी आंदोलन के लिए आगे आना चाहिए। किसी भी तरह की ज्यादती के खिलाफ संघर्ष के लिए नैतिकता का बल चाहिए। सत्ता का स्वभाव है, वह आपकी कमजोरी खोजती है, तो जरूरी है कि आप अपनी कमजारियों पर विजय प्राप्त करें, न्याय अवश्य मिलेगा।HINDUSTANLIVE


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