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- सर आइजक न्यूटन
महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन को गुजरे हुए 295 बरस हो गए हैं। तकरीबन तीन सदी पहले उन्होंने गुरुत्वाकर्षण और गति के जो नियम हमें दिए थे, पूरी दुनिया में भौतिक विज्ञान की पढ़ाई आज भी उन्हीं से शुरू होती है। फलों के गिरने, पत्तों के झड़ने से लेकर दुनिया के बहुत बडे़ हिम-स्खलन भी इन्हीं नियमों से समझे जा सकते हैं। हमारे आसमान में मंडराते सूरज, चांद, सितारे और ग्रह-उपग्रह तक आज उन्हीं नियमों का पालन करते दिखाई देते हैं। न्यूटन के इन्हीं नियमों से वैज्ञानिक और खगोलशास्त्री हमारे सौरमंडल की हरेक गतिविधि की सटीक गणना कर लेते हैं। मगर जब हम पूरे अंतरिक्ष के विस्तार में जाते हैं, तो कुछ जगह ये नियम गड़बड़ाते हुए दिखाई देते हैं। खासकर उन सितारों, ग्रहों और उपग्रहों के मामले में, जो हमारी आकाश गंगा के बाहरी सिरे पर हैं। उनकी गति अपवाद रूप से कुछ ज्यादा ही तेज दिखाई देती है। वे इतना तेज क्यों भागते हैं, इस सवाल ने खगोल वैज्ञानिकों को लंबे समय तक उलझाए रखा। एक मत यह था कि गुरुत्वाकर्षण वहां तक जाते-जाते कमजोर हो जाता है, इसलिए वहां सितारों की गति बढ़ जाती है। पहेली सुलझाने की इसी कोशिश ने वैज्ञानिकों को एक नई परिकल्पना तक पहंुचा दिया, जो आज भी विज्ञान के लिए सबसे बड़ी पहेली है।