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
वर्ष 2018 में हार्वर्ड के दो प्राध्यापकों ने एक किताब प्रकाशित करवाई जिसका नाम था, हाउ डेमोक्रेसीज डाई। अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रंप के आश्चर्यजनक आरोहण से प्रेरित होकर, पुस्तक ने तर्क दिया कि पुराने, स्थापित लोकतंत्रों को भी अपनी राजनीतिक व्यवस्था की निरंतरता को हल्के में नहीं लेना चाहिए। मतदाताओं की बुनियादी प्रवृत्तियों को भड़काने का कृत्य और संस्थानों की स्वतंत्रता के प्रति मामूली अवहेलना भी लोकतांत्रिक कामकाज को जल्दी कमजोर कर सकती है।ब्रिटेन के हाल के घटनाक्रम से इस किताब के सीक्वल का खयाल आया, संभवतः जिसका नाम हाउ डेमोक्रेसीज सर्वाइव हो सकता है। इसके लिए हमें ब्रिटेन के हाल के घटनाक्रम को मुख्य केस की तरह लेना होगा, जहां आम चुनाव में अपनी कंजरवेटिव पार्टी को शानदार जीत दिलाने के महज ढाई साल बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देना पड़ा।
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