सम्पादकीय

लोकतंत्र कैसे जीवित रहते हैं

Admin2
19 July 2022 11:57 AM GMT
लोकतंत्र कैसे जीवित रहते हैं
x

वर्ष 2018 में हार्वर्ड के दो प्राध्यापकों ने एक किताब प्रकाशित करवाई जिसका नाम था, हाउ डेमोक्रेसीज डाई। अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रंप के आश्चर्यजनक आरोहण से प्रेरित होकर, पुस्तक ने तर्क दिया कि पुराने, स्थापित लोकतंत्रों को भी अपनी राजनीतिक व्यवस्था की निरंतरता को हल्के में नहीं लेना चाहिए। मतदाताओं की बुनियादी प्रवृत्तियों को भड़काने का कृत्य और संस्थानों की स्वतंत्रता के प्रति मामूली अवहेलना भी लोकतांत्रिक कामकाज को जल्दी कमजोर कर सकती है।ब्रिटेन के हाल के घटनाक्रम से इस किताब के सीक्वल का खयाल आया, संभवतः जिसका नाम हाउ डेमोक्रेसीज सर्वाइव हो सकता है। इसके लिए हमें ब्रिटेन के हाल के घटनाक्रम को मुख्य केस की तरह लेना होगा, जहां आम चुनाव में अपनी कंजरवेटिव पार्टी को शानदार जीत दिलाने के महज ढाई साल बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देना पड़ा।

ब्रिटेन के आम चुनावों में दो या उससे अधिक पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ मैदान में होती हैं। शायद ही कभी यह राष्ट्रपति चुनाव जैसे होते हैं। फिर भी, दिसंबर, 2019 का चुनाव कंजरवेटिव पार्टी ने बोरिस जॉनसन के करिश्मे और उनकी लोकप्रियता के आधार पर जीता था। वह एक मजाकिया वक्ता हैं, जिनके उलझे हुए बाल और बेपरवाह पहनावे ने उन्हें आम ब्रिटिश मतदाताओं का प्रिय बना दिया। उनकी पार्टी को 1987 के बाद सर्वाधिक सीटें मिलीं और उसने 1979 के बाद सर्वाधिक मत प्रतिशत हासिल किया। मुख्य विपक्षी दल लेब पार्टी सिर्फ 202 सीटें ही जीत सकी और 1935 के बाद यह उसकी सबसे कम सीटें थीं।
चुनावों में मिली सफलता ने बोरिस जॉनसन को उनकी अपनी ही पार्टी में प्रभुत्व की स्थिति में पहुंचा दिया था। पहली बार जीतकर आए टोरी सांसदों के बीच बोजो एक पंथ बन गए और इसने नेता को आलोचनाओं से ऊपर कर दिया। जॉनसन स्पष्ट रूप से ट्रंप की सफलता से प्रभावित थे और उनकी राजनीति कुछ हद तक भड़काने वाले अमेरिकी नेता से प्रेरित थी। उन्होंने जनता से सीधे अपील करने के लिए पार्टी की मशीनरी की अवहेलना की। उन्होंने सलाह के लिए अपने मंत्रियों के बजाय कुछ चुनींदा गैरनिर्वाचित सलाहकारों पर भरोसा किया। उन्होंने भव्यता से ब्रिटेन को फिर से महान बनाने की बात की।
2019 के चुनावों में जब उन्होंने अपनी पार्टी को जीत दिलाई, तब बोरिस जॉनसन पचपन वर्ष के थे। तुलनात्मक रूप से देखें, तो वह नरेंद्र मोदी के भारत का प्रधानमंत्री बनने के समय उनकी जो उम्र थी, उससे आठ साल छोटे थे और डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के समय उनकी जो उम्र थी, उससे पंद्रह वर्ष छोटे थे।दिसंबर 2019 में, जॉनसन शायद दो, यहां तक कि तीन, कार्यकाल का आनंद लेने के बारे में सोच रहे होंगे। वह युवा थे और उनकी पार्टी और मतदाता उनके नियंत्रण में थे। और मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी अस्त-व्यस्त हो चुकी थी। इसके बावजूद बोरिस जॉनसन को अपने आधे कार्यकाल के बाद ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, वह भी बदनामी के कारण। यह कैसे हुआ? ऐसा इसलिए है, क्योंकि ब्रिटिश लोकतंत्र के अब भी काम कर रहे संस्थानों द्वारा उन्हें उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया गया था।
मसलन प्रेस। राजनीति में आने से पहले जॉनसन— ट्रंप के उलट नहीं— सच छिपाने के लिए जाने जाते थे। वह जब लंदन के मेयर थे या जब विदेश मंत्री थे, तब उनकी बहकाने वाली प्रवृत्ति खास मायने नहीं रखती थी, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में वह स्वतंत्र मीडिया की कठोर निगरानी से नहीं बच सकते थे और उसने उन्हें कठघरे में खड़ा भी किया। इसीलिए जब प्रधानमंत्री ने जनता के लिए अपने ही द्वारा घोषित लॉकडाउन के दौरान अपने स्टाफ के साथ पार्टी की, तब उनके इस अतिक्रमण पर अखबारों और टेलीविजन ने व्यापक रूप से रिपोर्ट की थीकुछ कम अच्छी तरह से काम करने वाले लोकतंत्रों (जैसे हमारे लोकतंत्र) में प्रधानमंत्री के झूठ और धोखे की अखबारों, रेडियो और टेलीविजन द्वारा इतनी बारीकी से जांच नहीं की गई होगी। ब्रिटेन में जहां कुछ अखबार लेबर पार्टी की ओर झुकाव वाले और कुछ टोरी की ओर झुकाव वाले हैं, लेकिन सौभाग्य से उस देश में सत्तारूढ़ राजनेताओं से निर्देश लेने वाला कोई 'गोदी मीडिया' नहीं है।
मुद्दे बड़े हों या छोटे, ब्रिटिश संसद में उन पर वास्तविक बहसें होती हैं। यह हमारी संसद से उलट है, जहां महत्वपूर्ण विधेयकों को कुछ मिनटों में ही पारित किया गया है और जहां कभी भी प्रधानमंत्री से विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का सीधा जवाब देने के लिए नहीं कहा जाता। दूसरी ओर, ब्रिटेन में प्रधानमंत्री से सवाल पूछने की परंपरा की वजह से लेबर नेता केर स्टार्मर ने बोरिस जॉनसन से लगातार सवाल किए, जिन्हें अपना बचाव का मौका भी दिया गया, हालांकि उनके जवाब न तो संतोषजनक थे और न ही आश्वस्त करने लायक थे।
amarujala


Admin2

Admin2

    Next Story