सम्पादकीय

आर्थिक संकट

Admin2
19 July 2022 8:55 AM GMT
आर्थिक संकट
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वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को छह अरब डॉलर की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) तैयार हो गया है। यह अहम इसलिए है, क्योंकि चीन ने कई अरब डॉलर के अपने बकाये के मद्देनजर पाकिस्तान को और मदद देने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान की बदहाली की ओर ध्यान तब गया था, जब वहां के योजना मंत्री एहसान इकबाल ने पाकिस्तानियों को रोजाना एक-दो कप कम चाय पीने की सलाह दी! वर्ष 2021-22 में पाकिस्तानी 8,388 करोड़ रुपये की चाय पी गए थे।पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने हाल ही में गरीबी उन्मूलन के लिए 15 करोड़ रुपये तक सालाना कमाने वाली कंपनियों पर एक फीसदी, 20 करोड़ रुपये तक कमाने वाली पर दो फीसदी, 25 करोड़ रुपये तक कमाने वाली पर तीन फीसदी तथा 30 करोड़ रुपये तक कमाने वाली कंपनियों पर चार फीसदी कर लगाने का फैसला किया है। रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था और संसाधन जुटाने की उसकी नाकामी के कारण उसकी रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक कर दिया है।

मौजूदा आर्थिक संकट से उसे आईएमएफ ही बचा सकता है, जिसकी कठोर शर्तों को स्वीकार करना पाकिस्तान की मजबूरी है। पाकिस्तान को आईएमएफ से मदद हासिल करने में अमेरिका ने परोक्ष रूप से मदद की है। चीन के और मदद देने से इनकार करने के बाद पाकिस्तान की स्थिति श्रीलंका जैसी हो सकती थी। कर्ज में डूबे श्रीलंका की बदहाली आज दुनिया के सामने है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन एशिया में चीन का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान को अपने साथ रखने की कोशिश कर रहे हैं।यही वजह है कि अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी नेड प्राइस ने पाकिस्तान को अमेरिका का रणनीतिक साझेदार बताया, जिससे भारत हैरत में पड़ गया। वास्तविकता यह भी है कि भारत-अमेरिका रिश्ता आज नए मुकाम पर है और दोनों देश ड्रैगन को नियंत्रित करना चाहते हैं, जिसने अपनी डेबिट डिप्लोमेसी (कर्ज कूटनीति) के जरिये अनेक एशियाई देशों को फांस रखा है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय ऋण देने वाली एजेंसियों पर ही निर्भर रहा है।
उसके पांच दशक का इतिहास देखें, तो उसने लोगों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने और बजटीय जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए 1972 में 8.4 करोड़ डॉलर, 1973 में 7.5 करोड़ डॉलर और 1974 में एक बार फिर 7.5 करोड़ डॉलर के कर्ज लिए थे। 1977 में आपात आधार पर उसने आठ करोड़ डॉलर और 1980 में 3.49 करोड़ डॉलर के कर्ज लिए। उस देश की वित्तीय हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, जिसके वित्त मंत्री अपने लोगों को चाय कम पीने की सलाह दे रहे हैं।
उनकी सलाह पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा, तो अब चाय भी छोड़ दें...कल कहेंगे सांस भी न लो ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी! अनेक लोगों ने इसे अपने बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करार दिया। पाकिस्तान के संघीय बजट के दस्तावेज दिखाते हैं कि उसने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 1,300 करोड़ रुपये (छह करोड़ डॉलर) मूल्य की अधिक चाय आयात की। पाकिस्तान को पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में हुई ब्रिक्स की वर्चुअल बैठक में उस समय तगड़ा झटका लगा, जब भारत की आपत्ति के कारण चीन ने उसे वैश्विक विकास संबंधी एक बैठक में हिस्सा नहीं लेने दिया।
amarujala


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