- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- संकट सत्ता का नहीं

Image used for representational purpose
दल-बदल कानून में कुछ नए प्रावधानों को शामिल करने की जरूरत है। मसलन, दल-बदल पर सदस्यों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले में निर्वाचन आयोग की सलाह पर राष्ट्रपति या राज्यपाल का निर्णय अंतिम होना चाहिए। इस संबंध में चुनाव आयोग की भूमिका का भी विस्तार किया जाना चाहिए। दूसरा, राजनीतिक दलों के विप जारी करने के अधिकार को सीमित किया जाना चाहिए। इसे तभी जारी करना चाहिए, जब सरकार सदन में विश्वासमत के खतरे से जूझ रही हो।सत्ता के लिए सत्य और बहुमत के मध्य का संघर्ष कोई नई बात नहीं है। महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच उद्धव सरकार के त्यागपत्र के बाद नई सरकार के गठन की आजमाइश शुरू हो गई है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दल-बदल में शामिल विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। विचारणीय प्रश्न है कि संविधान में दल-बदल निरोधक प्रावधानों के होते हुए भी यह राजनीतिक तोड़-फोड़ रुक क्यों नहीं रही?
