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- आर्थिक विकास की...
राजनीतिक दलों द्वारा जनता को मुफ्त सुविधाएं देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। दूरगामी आर्थिक विकास की सोच इस पक्ष में नहीं है। कई राज्यों में यह भी देखने को मिल रहा है कि कर संग्रह बढ़ाने के मकसद से शराब की बिक्री पर अधिक जोर दिया जा रहा है, क्योंकि आय बढ़ाने के अन्य स्रोत वर्तमान में उनके पास नहीं हैं। लोकलुभावन आर्थिक विकास की इस सोच ने क्या समाज को विनाशकारी राह पर नहीं मोड़ दिया है?आर्थिक विकास की नीतियां तब अपने लक्ष्य से भटक जाती हैं जब उनमें राजनीतिक सोच और उसके फायदे हावी हो जाते हैं। अंतत: गरीब तबके का व्यक्ति इससे विकास की मुख्यधारा से छिटक जाता है और धीरे-धीरे आर्थिक स्थितियां विपरीत होने लगती हैं। पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक विकास के मोर्चे पर एक नई राजनीतिक सोच पैदा हुई है। अब लोकलुभावन विकास को जन कल्याणकारी योजनाओं द्वारा हर सत्तापक्ष भुनाना चाहता है, जिसका वास्तविक आधार कुछ वस्तुओं और सेवाओं को 'मुफ्त बांटना' हो गया है। मुफ्त बांटने की यह राजनीतिक सोच आर्थिक बदहाली को आमंत्रण दे रही है।