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- अमरनाथ यात्रा
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बीती आठ जुलाई शाम साढ़े पांच बजे अचानक अमरनाथ जी की पवित्र गुफा के ऊपर व पार्श्व से आए तेज पानी के सैलाब में समीप में नीचे लगे करीब 25 तंबू, लंगर और तीन सामुदायिक रसोइयां बह गईं। इससे पहले ऊचांइयों में भारी बरसात हुई थी। भीषण जल प्रवाह की चपेट में आने से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई लापता हो गए। मीडिया ने तत्काल इस जल प्रलय का कारण पवित्र अमरनाथ गुफा में 'क्लाउड बर्स्ट' यानी बादल फटना बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य लोगों ने भी अपने संवेदना संदेशों में इसका कारण आकस्मिक 'क्लाउड बर्स्ट' को ही बताया था।बादल फटने से 100 मिलीमीटर या करीब चार इंच बरसात एक ही घंटे में हो जाती है। एक-दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कुछ मिनटों में ही एक इंच बरसात हो जाती है। इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हुई थी और दुर्घटना के समय पवित्र धाम में लगभग पंद्रह हजार यात्री थे। किंतु दुर्घटना के अगले दिन यानी नौ जुलाई को भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि हो सकता है कि यह क्लाउड बर्स्ट न हो। मौसम विभाग के अनुसार, बादल विस्फोट की स्थिति में 10 सेंटीमीटर प्रति घंटे की बरसात करीब 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में होती है। पवित्र धाम में केवल 31 मिलीमीटर बरसात शाम 4.30 से 6.30 बजे के बीच हुई।