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- कुदरत का कहर
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बरसात के वक्त पहाड़ों पर खतरे बढ़ जाते हैं। मगर अमरनाथ यात्रा का समय तय होता है, इसलिए श्रद्धालु जोखिमों की परवाह किए बिना यात्रा को निकल पड़ते हैं। हालांकि अमरनाथ यात्रा में आतंकवादी घटनाओं और दुर्गम रास्तों के चलते खतरे की आशंका हमेशा बनी रहती है, इसलिए प्रशासन ने इसे बहुत चाक-चौबंद बनाने का प्रयास किया है। हर श्रद्धालु का पंजीकरण कराया जाता है, रास्ते भर सुरक्षा के इंतजाम होते हैं।स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने या किसी दुर्घटना के वक्त स्थिति को काबू में करने के लिए जगह-जगह विश्रामगृह और अस्पतालों की व्यवस्था है। पर कुदरत के कहर पर किसका वश चलता है। इस बार अमरनाथ गुफा के दो किलोमीटर के दायरे में बादल फटा और दर्जन भर से ज्यादा श्रद्धालु मारे गए। चालीस के करीब लोग लापता बताए जा रहे हैं।