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- कतार में खड़ा आखिरी...

नए युग के मसीहा आज भी कतार में खड़े आखिरी आदमी का दर्द समझने की बात करते हैं। उसकी पीड़ा, उसके जीवन की प्रवंचना और उसके घिसट-घिसट कर उम्र काट देने के अंदाज को बदल देने की बात करते हैं। वे कहते हैं कि चेहरों की खोई हुई मुस्कान लौट आएगी। मगर उनसे कोई पूछे तो कि कतार में खड़े इस देश के आखिरी आदमी के चेहरे से मुस्कान क्यों लुप्त हो गई? फिर किस एक कतार की बात करते हो? यहां तो हर क्षेत्र में कतार-दर-कतार है। टूटती सांसों के पुल पर खड़े जीते लोग हैं और जिधर आंख उठाओ वहां एक नई कतार खड़ी नजर आती है। अंत में लोगों के झुंड हैं, झुंड केवल एक आदमी नहीं, जो अपने अच्छे दिनों या जीवनोदय का इंतजार कर रहा है। कभी अंत्योदय के नाम से इस एक आदमी को इस कतार में खड़ा किया गया था, आज वह झुंड हो गया। तब सोचा था एक कतार होगी, आगे सरकती-सरकती कभी खत्म हो जाएगी। लेकिन यहां तो हर क्षेत्र में कतार-दर-कतार लगती गई।
