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- आतंकवाद समाप्त करना...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुए तीन साल होने जा रहे हैं। इसमें एक साल से अधिक समय तक वहां कर्फ्यू लगा रहा, संचार माध्यमों पर रोक थी। वहां सेना और सुरक्षाबलों का चौकस पहरा है। इसके पहले घाटी में आतंकवाद खत्म करने के लिए कई सख्त कदम उठाए जा चुके हैं। कई बार दावा किया गया कि घाटी में आतंकवाद अब समाप्ति की ओर है। मगर खुद गृह मंत्रालय का ताजा आंकड़ा है कि जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन आदि संगठनों ने पिछले चार सालों में जम्मू-कश्मीर में सात सौ युवाओं को भर्ती किया।इसके वर्षवार आंकड़े भी दिए गए हैं, जिसमें अनुच्छेद तीन सौ सत्तर हटने के बाद के वर्षों में भी औसतन डेढ़ सौ युवाओं की हर साल भर्ती हुई। ये आंकड़े चौंकाने वाले और चिंताजनक हैं। हालांकि इस दौरान मुठभेड़ में सैकड़ों आतंकी मारे भी गए, पर घाटी में नए आतंकवादियों की भर्ती का न रुकना सरकार की आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई पर सवाल खड़े करते हैं। यह ठीक है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटने से वहां के लोगों में रोष है और यह वहां के युवाओं के हाथ में हथियार उठाने की एक वजह हो सकती है, मगर इतने सारे कठोर उपाय आजमाने के बावजूद अगर इस पर रोक नहीं लग सकी, तो चिंता स्वाभाविक है।