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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : अभिव्यक्ति की बेलगाम स्वंत्रता अब घातक रूप लेती जा रही है। सबसे खेदजनक है कि जानी-मानी हस्तियां भी इस अनावश्यक दौड़ में शामिल हो गई हैं। आए दिन इस प्रकार के अप्रिय मामले प्रकाश में आ रहे हैं। एक-दूसरे की धार्मिक आस्था को आघात पहुंचाना, निरर्थक बयानबाजी करना, गैरजरूरी विवाद खड़े करना, यहां तक कि बहुत ही अपमानजनक तस्वीरें, कार्टून और फिल्में बनाना तथा उन्हें प्रसारित करना कुछ लोगों का नया शौक बन गया है।
इस प्रकार के मामलों में अवांछित रूप से राजनीति भी शामिल हो जाती है। यद्यपि सबको अपनी इच्छा के अनुसार धर्म, मत, परंपरा के पालन का अधिकार है, लेकिन किसी को भी दूसरों की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है। जब कभी इस सामान्य नियम का उल्लंघन किया जाता है तो समाज का वातावरण दूषित होता है। यह स्थिति किसी भी दृष्टि से स्वस्थ या लाभकारी नहीं कही जा सकती।
इशरत अली कादरी, भोपाल
SOURCE-JANSATTA
Admin2
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