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- मानव जाति की हिरासत...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : मानव सभ्यता ने प्राकृतिक विकास की एक ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली है, जहां मानव प्रजाति का संपूर्ण जीवन और सारे जीवित ग्रह पर नियंत्रण है। संपूर्ण जैवमंडल, ग्रह, यहां तक कि 'अपराजेय' ब्रह्मांड भी अब मानव जाति की हिरासत में है। किसी एक जीव का इतना विराट वर्चस्व! क्या यह प्राकृतिक विकास का लक्ष्य था? शारीरिक शक्ति में अनेक प्रजातियों से निर्बल होने पर भी सारे जीवों के नियंता के रूप में अस्तित्व में आए मानव के विकास की गाथा के केंद्र में है उसकी बुद्धि की अद्भुत क्षमताएं और उसके नट-बोल्ट कलाओं वाले हाथों की रचनाएं।मानव ने पृथ्वी के जैवमंडल के इतर एक विराट अंतरिक्ष क्षेत्र में अपना अस्तित्व जमा लिया है, जिसे हम मानव प्रभा मंडल अथवा बौद्धिक मंडल कह सकते हैं। नक्षत्रों, ग्रहों, चंद्रमाओं और क्षुद्र ग्रहों से लेकर ब्लैकहोल तक की खोजें हमने कर ली हैं। इन उपलब्धियों के उपरांत भी हम संतृप्त नहीं हुए, इसलिए अपने बौद्धिक मंडल की परिधि बढ़ाते जा रहे हैं। और संभवतः निकट भविष्य में हमारा प्रभा मंडल ब्रह्मांड की अनंतता तक विस्तार ले लेगा।
सोर्स-amarujala