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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : 'नेकी कर दरिया में डालने' का मुहावरा जिंदगी का आईना हो सकता है। बस इसे किसी से कह देने भर से कुछ नहीं समझ में आ पाता है और न ही सुन लेने से! वैसे ही जैसे 'जाके पैर न फटे बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई'। खुद को ठोकर लगने पर ही दर्द होता है। लोग कहते रहते हैं कि मैंने फलां के लिए क्या-क्या नहीं किया, लेकिन क्या सिला मिला! दरअसल, हम जो कुछ इस दुनिया में करते हैं, वह सब हमें यहीं इसी जन्म में भुगतना पड़ता है। पूर्वजन्म के कर्म कहने वाले आज मनोविज्ञान के अनुसार पुरातनपंथी ही कहे जाएंगे। विद्वान, दार्शनिक और वैज्ञानिकों द्वारा सच ही कहा हैं- 'इस जीवन में जो भी मिलता हैं वह इसी जीवन में करने का परिणाम भर है।' कहावतें व मुहावरे जीवन रहस्य को खोलते हैं या फिर ओशो की देशनाएं पढ़-सुन लिा जाए, जो जीवन की अधुनातन व्याख्याएं करती हुई लगेंगी।
सोर्स-amarujala