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- बाढ़ से निपटने की...
जनता से रिश्ता :सही हो या गलत, कुछ आपदाओं पर दूसरों की तुलना में ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इसकी कई वजहें हैं। आपदा के कवरेज का स्तर और तीव्रता वास्तविक पीड़ा के पैमाने के बजाय निकटता, लोगों की रुचि और इसमें शामिल आर्थिक दांव पर निर्भर करता है। निश्चित रूप से देश के कुछ हिस्सों या समुदायों को तभी पहले पन्ने पर या प्राइमटाइम टीवी में जगह मिलती है, जब आपदा इतनी बड़ी हो कि इसे नजरंदाज या कम करके आंका नहीं जा सकता है।यही चीज मुझे असम या पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों या पड़ोसी बांग्लादेश की विनाशकारी बाढ़ में दिखती है। हजारों मील दूर महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट का केंद्र बन जाने के कारण असम अभी चर्चा में है। इसके मद्देनजर असम के मुख्यमंत्री राज्य पर्यटन की संभावनाओं को लेकर काफी मुखर रहे हैं, लेकिन तथ्य यह है कि असम के कुछ हिस्सों में बाढ़ के कारण आम लोगों की स्थिति बहुत गंभीर है और वे तत्काल बचाव की जरूरत महसूस कर रहे हैं।यह लेख लिखे जाने के समय तक असम में बाढ़ से 127 लोगों की मौत हो चुकी है और जब तक यह प्रकाशित होगा, मरने वालों की संख्या बढ़ चुकी होगी। असम में बराक घाटी के कछार जिले का मुख्यालय सिलचर लगातार सातवें दिन पांच से आठ फीट पानी में डूबा हुआ है और करीब दो लाख लोग भोजन, पानी और अन्य जरूरी चीजों की कमी का सामना कर रहे हैं। बांग्लादेश में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 80 पार कर गई है।