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- रसोई पर मार
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जनता से रिश्ता : किसी न किसी रूप में खाने-पीने का सामान और रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली चीजें जिस तरह से महंगी होती जा रही हैं, उसका सीधा असर आम आदमी पर ही पड़ रहा है। अभी तक तो महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दाम ही बना हुआ था। इसका असर खुदरा और थोक महंगाई के रूप में सामने आ रहा है। पर महंगाई तब ज्यादा मारती है जब सब्जियां, फल और आम आदमी की थाली से जुड़े उत्पाद महंगे हो जाते हैं। काफी समय से देखने में आ रहा है कि चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
दूध, डबल रोटी से लेकर आटा, चावल, दालें और खाने के तेल तक के दाम जिस रफ्तार से बढ़ते गए हैं, वह कोई मामूली नहीं बात नहीं है। यह सीधे-सीधे गरीब की रसोई पर मार है। अब बची-खुची कसर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने पूरी कर दी है। जीएसटी परिषद ने अब पैकेट में आने वाले दूध, दही, छाछ, पनीर, आटा, मुरमुरे, गुड़, सोयाबीन, मोटा अनाज, मांस, मछली, सूखी फलियों जैसी खाद्य वस्तुओं को पांच फीसद कर दायरे में रख दिया है। ये बढ़ी हुई दरें अठारह जुलाई से लागू हो जाएंगी। यानी इस महीने से ही अब खाने-पीने की तमाम चीजों पर लोगों का खर्च और बढ़ जाएगा।
सोर्स-jansatta
Admin2
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