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प्रतीकात्मक तस्वीर
जनता से रिश्ता :हाल में त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और दक्षिणी असम का बड़ा हिस्सा एक हफ्ते तक देश से सड़क मार्ग से पूरी तरह कटा रहा, क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग छह मेघालय के पूर्वी जयंतिया जिले में भूमि कटाव से पूरी तरह नष्ट हो गया था। सोनापुर सुरंग लुम-श्योन के पास बंद हो गई। नगालैंड में नोकलाम जिले में कई गांव ही गायब हो गए। असम के नगाव जिले के कलियाबर में पचास साल पुराने दो स्कूल देखते ही देखते पानी में समा गए।सदियों पहले नदियों के साथ बहकर आई मिट्टी से निर्मित असम अब इन्हीं व्यापक जल-शृंखलाओं के जाल में फंसकर बाढ़ व भूमि कटाव के श्राप से ग्रस्त है। ब्रह्मपुत्र और बराक व उनकी कोई 50 सहायक नदियों का द्रुत बहाव पूर्वोत्तर भारत में अपने किनारों की बस्तियों-खेतों को उजाड़ रहा है। बरसात होते ही कहीं तेज धार जमीन को खा रही है, तो कहीं पहाड़ कट रहे हैं। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के आंकड़े बताते हैं गत छह दशक के दौरान अकेले असम की 4.27 लाख हेक्टेयर जमीन कटकर पानी में बह चुकी है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 7.40 प्रतिशत है।
सोर्स-amarujala