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जनता से रिश्ता : भारतीय जनता पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू, जो कि जनजाति वर्ग से संबंधित हैं, को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया। विपक्ष ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी हमारे देश के राजनेताओं और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में आपसी कशमकश चली हुई है।राष्ट्रपति पद के मुद्दे को हमारे देश के राजनेता बेवजह उलझा रहे हैं।
राष्ट्रपति पद को दलगत आग्रहों से दूर रखना चाहिए। मगर इस पद के लिए भी राजनेता राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। मामले को मिल बैठ कर हल करने के बजाय बयानबाजी कर इसे और उलझा रहे हैं। कुछ राजनेता तो धर्म को भी बीच में लाने की कोशिश कर रहे हैं। देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि उसे राजनेताओं की पसंद से नहीं, बल्कि देश की आम जनता की पसंद से चुना जाना चाहिए, क्योंकि हमारे देश के राजनेताओं की तो यह आदत ही बन चुकी है कि किसी भी समस्या पर सहमति नहीं बनाते हैं। इनकी इसी आदत के कारण आज हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है। आखिर राष्ट्रपति के मसले को इतना उलझाने की क्या जरूरत है।
अब देश की आम जनता जागरूक हो चुकी है, वह दलगत, जातिगत या फिर धर्म-संप्रदाय की राजनीति करने वालों के प्रलोभन में नहीं आने वाली। राष्ट्रपति के पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए, भारत में अब पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए ऐसी परंपरा आरंभ होनी चाहिए कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा न घोषित हो, ताकि राष्ट्रपति चुनाव पर भी न तो किसी को ओछी राजनीति करने का मौका मिले और न ही राष्ट्रपति किसी दबाव में रहें और जो प्रधानमंत्री जरा-सा भी तानाशाही की राह पर चले, उसे पद से हटाने में जरा भी देर न लगाए। ऐसा होने से आमजन का विश्वास राष्ट्रपति पर और बढ़ेगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
source-jansatta

Admin2
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