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- बेरोजगारी, गरीबी या...
जनता से रिश्ता : वर्ष 2019 में हर घंटे एक भारतीय नागरिक ने बेरोजगारी, गरीबी या दिवालियेपन के कारण खुदकुशी की। वर्ष 2018 से 2020 के बीच करीब 25 हजार भारतीय बेरोजगारी या कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या के लिए मजबूर हुए। जो लोग अब भी बेरोजगार हैं, उनके लिए विरोध प्रदर्शन स्वाभाविक नियति है। एक संविदाकर्मी के लिए सम्मान से राष्ट्र सेवा करना, उसके बुनियादी हक और सरोकार से जुड़ा है। इसकी अवहेलना की स्थिति में हाल में हमने अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को उबलते देखा है। मई, 2022 में हरियाणा में 2,212 संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं एक झटके में समाप्त हो गईं।जो लोग एक झटके में सड़क पर आ गए, उनमें नर्स, सफाईकर्मी, सुरक्षा गार्ड और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। इन्हें कोविड महामारी के दौरान काम पर रखा गया था, लेकिन बाद में जरूरत खत्म होने पर उन्हें हटा दिया गया। 'इस्तेमाल करो और फेंको' का यह क्लासिक उदाहरण है। दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और राम मनोहर लोहिया अस्पताल सरीखे विभिन्न चिकित्सा कॉलेजों/संस्थानों के सैकड़ों नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, लैब तकनीशियनों आदि ने भी रातोंरात अपने रोजगार अनुबंधों के खत्म होने का दंश झेला है।