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- प्रताड़ना झेलने को विवश...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : रूढ़िवादी मानसिकता ने बहुत कुछ बदल कर भी कुछ न बदलने जैसे हालात बना रखे हैं। यही वजह है कि घरेलू हिंसा का दंश भी समाज के हर वर्ग में देखने को मिलता है। सवाल है कि घर के हर सदस्य को भावनात्मक सहारा देने वाली महिलाएं क्यों अपने ही घर के भीतर हिंसक व्यवहार झेलने को विवश हैं?दुनिया का हर इंसान सम्मान और सुरक्षा की उम्मीद रखता है। पर अफसोस कि कई भारतीय महिलाओं को अपने घर में भी सम्मान का माहौल नहीं मिलता। देश की आबादी का आधा हिस्सा होने के बावजूद औरतें अपने ही घर में अपना मानवीय हक हासिल नहीं कर पाई हैं। घरेलू हिंसा जैसी अमानवीय स्थितियां अब भी उनके हिस्से आ रही हैं। शिक्षित और आत्मनिर्भर होती स्त्रियों के आंकड़े भी उन्हें मानवीय हक नहीं दिला पा रहे। इनमें सबसे ज्यादा तकलीफदेह है, छोटी-छोटी बातों पर उनके साथ होने वाली हिंसा। यह प्रताड़ना मानसिक और मनोवैज्ञानिक पीड़ा का सबब तो है ही, महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफों का भी अहम कारण है।
सोर्स-jansatta