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- चिकित्सा शिक्षा में...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : एमबीबीएस शिक्षा के साथ कई तरह के खिलवाड़ हो रहे हैं। कायदे से मेडिकल कालेज में उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिलना चाहिए जो सीटों की संख्या के अनुसार नीट परीक्षा से चयनित हुए हैं। लेकिन आलम है कि जो छात्र दो लाख से भी ऊपर की रैंक में हैं, उसे भी धन के बूते प्रवेश मिल जा रहा है।देश में चिकित्सकों की कमी के बावजूद चिकित्सा शिक्षा की स्नातकोत्तर कक्षाओं में एक हजार चार सौ छप्पन सीटें खाली रह जाना चिंता की बात है। ये सीटें राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट पीजी) के बाद खाली रही हैं। इसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने भी नाराजगी जताते हुए चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) को कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही हिदायत दी थी कि एक भी सीट खाली नहीं रहना चाहिए, इसलिए विशेष परामर्श के बाद सीटें भरी जाएं। किंतु अगली सुनवाई में न्यायालय ने केंद्र सरकार और एमसीसी के फैसले को सही मानते हुए कहा कि इसे मनमाना निर्णय नहीं कह सकते, क्योंकि पढ़ाई की गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकते। यदि ऐसा करते हैं तो लोक स्वास्थ्य प्रभावित होगा। अतएव एमसीसी का निर्णय जन-स्वास्थ्य के हित में है। इस परिप्रेक्ष्य में विडंबना यह है कि एक तरफ तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी के चलते बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गर्इं, तो दूसरी तरफ कई प्रतिभावान छात्र जटिल विषयों में स्नातकोत्तर करना ही नहीं चाहते।
सोर्स-jansatta