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- क्रोध भी शोध का विषय
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : संसार में क्रोध भी शोध का विषय है। ताजा शोध में पता चला है कि दुनिया में लगभग 90 प्रतिशत आक्रामक घटनाओं के लिए क्रोध ही जिम्मेदार होता है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन क्रोध को एक नकारात्मक भावना की स्थिति के रूप में परिभाषित करता है, जो आमतौर पर शत्रुतापूर्ण विचारों, शारीरिक उत्तेजना और दुर्भावनापूर्ण व्यवहार से जुड़ी होती है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि क्रोध एक माध्यम है, कंबल की तरह है, जिसके नीचे कुछ न कुछ छिपा होता है। इसलिए शोधकर्ता क्रोध को कंबल-भावना भी कहते हैं। साइकोलॉजी टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, क्रोध के कंबल के नीचे देखना-समझना-सीखना हमारे जीवन में लोगों के साथ हमारे संबंधों को गहरा कर सकता है। हमें अधिक दयालु बना सकता है, हमारे शब्दों या वचन को ज्यादा प्रामाणिक बना सकता है। अक्सर जब हम किसी कारणवश निराश या हताश होते हैं, तो क्रोध का इस्तेमाल करते हैं। मतलब, अगर लोगों की निराशा या हताशा का समाधान किया जाए, तो क्रोध से बचा जा सकता है। क्रोध से बचकर हम आक्रामक या नुकसानदायक घटनाओं से बच सकते हैं। इससे हमारा तन, मन, धन और समय भी बच सकता है।