सम्पादकीय

दिल का इलाज

Rani Sahu
17 April 2022 6:52 PM GMT
दिल का इलाज
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हृदय रोग के इलाज की दिशा में एक बड़ी कामयाबी के संकेत स्वागतयोग्य हैं

हृदय रोग के इलाज की दिशा में एक बड़ी कामयाबी के संकेत स्वागतयोग्य हैं। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हृदय रोग के उपचार में उसी आनुवंशिक ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जिसका उपयोग कुछकोविड-19 के टीके विकसित करने के लिए किया गया है। सहज शब्दों में कहें, तो इस चिकित्सकीय तकनीक के माध्यम हृदय घात या कार्डियक अरेस्ट से क्षतिग्रस्त हुए दिल को ठीक करने में मदद मिल सकती है। किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने एमआरएनए का अध्ययन कर पता लगाया है कि आनुवंशिक कोड स्वस्थ हृदय कोशिकाओं को बनाने के लिए प्रोटीन उत्पन्न करते हैं। फाइजर और मोदेरना इत्यादि कोविड टीके इसी चिकित्सकीय तकनीक का उपयोग करके विकसित किए गए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अभूतपूर्व खोज से दिल के दौरे का इलाज हो सकेगा। प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर मौरो गियाका के मुताबिक, 'हम सभी अपने दिल में मांसपेशियों की कोशिकाओं की एक निश्चित संख्या के साथ पैदा होते हैं और वे बिल्कुल वही हैं, जिनके साथ हम मरेंगे।' उन्होंने बताया कि दिल के दौरे के बाद दिल में खुद को ठीक करने की स्वत: क्षमता नहीं होती है। लेकिन अब एक ऐसे उपचार की खोज संभव है, जिसके तहत जीवित कोशिकाओं को बढ़ाने के लिए तैयार किया जा सकता है। दिल का दौरा दिल की मांसपेशियों पर कहर ढाता है, जिससे करीब 100 अरब कोशिकाएं मर जाती हैं। ऐसे में, जिन चंद जीवित कोशिकाओं की वजह से मरीज की जान बचती है, उन कोशिकाओं को ही अगर मजबूती व विस्तार मिले, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है?

इसमें कोई शक नहीं है कि दिल के दौरे की वजह से क्षतिग्रस्त हुए दिल के अंश को पुनर्जीवित करना एक पुराना सपना रहा है, फिलहाल यह सपना साकार नहीं होने जा रहा है। अभी मोटे तौर पर इस बात पर वैज्ञानिक सहमत हैं कि इस तकनीक से नई कोशिकाएं मृत कोशिकाओं की जगह ले लेंगी और दिल का दौरा फिर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा यह भी खुशखबरी है कि गियाका की शोध टीम, जो किंग्स कॉलेज लंदन के ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन सेंटर फॉर रिसर्च एक्सीलेंस में स्थित है, दिल का दौरा पड़ने के बाद कोशिकाओं को मरने से रोकने के लिए एक दवा पर भी काम कर रही है। यह दरअसल दिलों को फिर से बनाने की दिशा में चल रहा वैज्ञानिक कार्य है।
ध्यान रहे, दुनिया में 32 प्रतिशत मौतें दिल के जवाब देने की वजह से होती हैं, जिनमें से करीब 85 प्रतिशत मौतें दिल के दौरे से होती हैं। दुनिया में हर साल 17 करोड़ से ज्यादा लोग हृदय रोग के शिकार होते हैं, इनमें ऐसे लोगों की बड़ी संख्या होती है, जो महंगे इलाज से वंचित हैं। गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए हृदय रोग बहुत ही घातक स्वरूप में सामने आता है। ऐसे लोगों को अगर किसी भी तरह की सर्जरी से बचाया जा सके, तो यह एक बड़ी सफलता होगी। स्टेम सेल विज्ञान से भी उम्मीदें रही हैं, लेकिन इस दिशा में ज्यादा तेजी देखने में नहीं आ रही है। अंगों को स्वाभाविक रूप से विकसित करने में स्टेम सेल विज्ञान को कामयाब होने में वर्षों लगेंगे। लेकिन इंग्लैंड के वैज्ञानिकों को जो ताजा सफलता मिली है, उसी पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। आने वाले समय में दिल की नई दवा आएगी या दिल का कोई टीका आएगा। वैज्ञानिकों केअनुसार, हमें हृदय देखभाल क्षेत्र में नई क्रांति का इंतजार करना चाहिए।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

Rani Sahu

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