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- अफस्पा से मुक्ति

भारत सरकार ने पूर्वोत्तर के असम, मणिपुर और नगालैंड के कई इलाकों को अफस्पा से मुक्त करने का निर्णय लिया है। सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून को 'राक्षसी' करार दिया जाता रहा है। पूर्वोत्तर के नागरिक समाज की यह निरंतर मांग रही है कि यदि पूर्वोत्तर राज्यों में लोकतंत्र बुनियादी तौर पर लागू करना है तो अफस्पा को खत्म किया जाए। यदि पूर्वोत्तर की शेष भारत के साथ एकता, अखंडता स्थापित करनी है तो अफस्पा को रद्द किया जाए। दरअसल यह कानून घोर उग्रवाद और जेहादी आतंकवाद के मद्देनजर बनाया गया और पूर्वोत्तर समेत देश के कुछ और हिस्सों में भी लागू किया गया। इस कानून के तहत सशस्त्र सेनाओं और बलों को विशेषाधिकार हैं कि संदेह की स्थिति में कहीं भी छापा मारकर तलाशी ली जा सकती है। किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है अथवा गोली मार कर जि़ंदगी को शांत किया जा सकता है। कानून का दुरुपयोग भी किया जाता रहा है और यह पूरी तरह 'अमानवीय' कानून है। कानून के दायरे में कई अनहोनी और अनापेक्षित घटनाएं भी हुई हैं, जिनमें मासूम नागरिकों की हत्याएं हुई हैं। सैनिकों पर भी उग्रवादी गुटों ने पलटवार किए हैं, जिनमें हमारे जांबाज भी 'शहीद' हुए हैं। बेशक पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद बेहद कम हुआ है। कथित उग्रवादी चेहरे राजनीति के जरिए सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हो रहे हैं।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल
