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- युद्ध और चिंताएं
युद्ध अब शुरू हो चुका है। पिछले कुछ सप्ताह से पूर्वी यूरोप में जो रणभेरी बज रही थी, उसे इसी अंजाम पर पहुंचना था। फ्रांस और जर्मनी की बीच-बचाव की कोशिशें, अमेरिका की पाबंदी की घुड़कियां और संयुक्त राष्ट्र की मैराथन बैठकें, रूस को यूक्रेन पर हमला बोलने से नहीं रोक सकीं। रूस हमला करेगा, यह सोमवार को तभी स्पष्ट हो गया था, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने टेलीविजन संबोधन में कहा था कि वह यूक्रेन की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते। अगले ही दिन रूस ने पूर्वी यूक्रेन के उन दो इलाकों को मान्यता दे दी थी, जो यूक्रेन से बगावत करके उससे अलग होने की घोषणा कर चुके थे। रूसी सेनाएं जब इन दो इलाकों की ओर रवाना हुईं, तभी युद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। बस इसकी घोषणा भर बाकी थी। अब जब यह घोषणा भी हो चुकी है और यूक्रेन के विभिन्न इलाकों से बमों के धमाके सुनाई देने शुरू हो चुके हैं, तब न ऐसी ताकतें दिख रही है, और न ही ऐसी समझदारी कहीं नजर आ रही, जो इस आग को शांत करने की ठोस पहल करती हो।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान