सम्पादकीय

किम की जिद में फंसा उत्तर कोरिया

Subhi
8 Feb 2022 3:54 AM GMT
किम की जिद में फंसा उत्तर कोरिया
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के साथ अमेरिका ने बातचीत शुरू की थी, लेकिन यह बेनतीजा रही। आज भी कोई आसार नहीं दिख रहे कि अमेरिका किम को और मिसाइल परीक्षणों से रोक पाएगा।

संजीव पांडेय: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के साथ अमेरिका ने बातचीत शुरू की थी, लेकिन यह बेनतीजा रही। आज भी कोई आसार नहीं दिख रहे कि अमेरिका किम को और मिसाइल परीक्षणों से रोक पाएगा। उत्तर कोरिया ने इस साल जनवरी में एक के बाद एक मिसाइल परीक्षण करते हुए दुनिया को फिर से यह संदेश दे दिया है कि वह अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का अभियान जारी रखेगा।

उत्तर कोरिया के इस कदम से खासतौर से अमेरिका की नींद उड़ी हुई है और संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित है। हैरानी की बात तो यह कि उत्तर कोरिया ने ये परीक्षण ऐसे वक्त में किए हैं जब कोरोना महामारी के कारण उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाने और भुखमरी के हालात पैदा हो जाने की खबरें आ रही हैं। हालांकि दावा यह किया जा रहा है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन ने देश के भीतर जन असंतोष को काबू में रखने के लिए ही ये मिसाइल परीक्षण किए हैं, ताकि मुख्य आर्थिक मुद्दों से जनता का ध्यान बांटा जा सके।

उत्तर कोरिया का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर चुनौती बन गया है। इससे एशियाई क्षेत्र में हथियारों की होड़ बढ़ गई है। यह खतरा इसलिए भी गंभीर है कि ज्यादातर एशियाई देशों की बड़ी आबादी पहले से ही गरीबी जैसे संकट का सामना कर रही है। पर देखने में आ रहा है कि एशियाई देश हथियारों की होड़ को कम करने के बजाय उसे बढ़ाने में ही अपनी सुरक्षा समझ रहे हैं।

वैसे इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि इससे वैश्विक हथियार कारोबार को भी ताकत मिलती है। पिछले कुछ सालों में उत्तर कोरिया ने अपने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम काफी तेज कर दिए हैं। इसका सीधा प्रभाव दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों पर पड़ रहा है, जिनका उत्तर कोरिया से पुराना विवाद चला आ रहा है। उत्तर कोरियाई हथियार कार्यक्रम के कारण जापान और दक्षिण कोरिया को भी हथियार की होड़ में शामिल होना पड़ा है, जिसका स्वाभाविक रूप से लाभ अमेरिकी हथियार उद्योग को मिल रहा है।

मिसाइल कार्यक्रम में उत्तर कोरिया काफी आगे बढ़ चुका है। उसने ह्वासोंग श्रेणी के आधुनिक मिसाइल विकसित कर ली हैं। ह्वासोंग-12 की मारक क्षमता पैंतालीस सौ किलोमीटर है, जबकि ह्वासोंग-14 की मारक क्षमता दस हजार चार सौ किलोमीटर है। ह्वासोंग-15 की मारक क्षमता तेरह हजार किलोमीटर है। आज उत्तर कोरियाई मिसाइलों के निशाने पर अमेरिकी शहर हैं। इसीलिए अमेरिकी प्रशासन ने उत्तर कोरिया पर परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को रोकने के लिए हर तरह से दबाव बनाने में लगा है, इसका नतीजा कुछ नहीं निकल रहा। उधर चीन पूरी तरह से उत्तर कोरिया के साथ है और उसके मिसाइल विकास कार्यक्रम में हर तरह से मदद दे रहा है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के साथ अमेरिका ने बातचीत शुरू की थी। लेकिन यह बेनतीजा रही। आज भी कोई आसार नहीं दिख रहे कि अमेरिका किम को और मिसाइल परीक्षणों से रोक पाएगा। हालांकि उस समय किम जोंग ने बातचीत के दौरान हथियारों के होड़ को कम करने के संकेत दिए थे। लेकिन हकीकत में अब तक ऐसा कुछ देखने में आया नहीं है जिससे लगता हो कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों और मिसाइलों के विकास को रोकेगा, बल्कि वह इस काम को और तेजी से बढ़ाता जा रहा है। पिछले साल सैन्य परेड में किम जोंग उन ने सबमरीन बैलेस्टिक मिसाइलों का प्रदर्शन किया था।

उत्तर कोरिया के हालात इस समय काफी खराब है। कोरोना के कारण उत्तर कोरिया ने देश में कड़े प्रतिबंध और बंदी जैसे कदम उठाए। इससे वहां खाद्य पदार्थों का संकट गहरा गया। आज लाखों लोग भुखमरी के शिकार हो गए हैं। खुद किम जोंग उन ने भी इस बात को माना है। इसके बावजूद उत्तर कोरिया मिसाइल परीक्षण कर रहा है, परमाणु कार्यक्रम तेज कर रहा है तो इसका सीधा मकसद देश को ऐसी बड़ी सैन्य ताकत बनाना है जो अमेरिकी चुनौतियों का मुकाबला कर सके। इसीलिए गरीब मुल्क होने के बावजूद किम जोंग उन सेना के आधुनिकीकरण और हथियारों पर भारी पैसा खर्च कर रहा है। उत्तर कोरिया की थल सेना में ग्यारह लाख और वायु सेना में एक लाख दस हजार जवान हैं।

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