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- यूक्रेन को लेकर...
शिवकांत शर्मा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल रूसी अस्मिता पर एक लेख लिखा था, जिसमें रूसी और यूक्रेनी लोगों की एकता के सदियों पुराने इतिहास की याद दिलाई गई थी। यह लेख यूक्रेन को लेकर चल रहे अमेरिका और रूस के टकराव की पृष्ठभूमि को समझने में मदद करता है। यूक्रेन के यूरोपीय संघ और नाटो का सदस्य बन जाने की आशंका पुतिन के लिए सुरक्षा से ज्यादा उनकी आन का विषय बन चुका है। वह पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के पूर्व सोवियत देशों को रूसी प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखते हैं और उनके यूरोपीय संघ या नाटो जैसे शत्रु संगठन के पाले में जाना उन्हें बर्दाश्त नहीं। इसीलिए कजाखस्तान में विद्रोह भड़कते ही उन्होंने सरकार की सुरक्षा में अपने टैंक उतार दिए थे। पुतिन जानते हैं कि इतिहास के पहिये को उलटा नहीं घुमाया जा सकता। इसलिए वह एक नया इतिहास बनाना चाहते हैं। वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पूर्व सोवियत देशों में उनकी बात मानने वाली सरकारें रहें।