सम्पादकीय

कोरोना को लेकर यूपी पर निशाना साध रही वेस्टर्न मीडिया को अब अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए

Rani Sahu
6 Oct 2021 6:52 AM GMT
कोरोना को लेकर यूपी पर निशाना साध रही वेस्टर्न मीडिया को अब अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए
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कोरोना महामारी (Corona Pandemic) एक ऐसी विपदा बनकर सबके सामने आई जो बीते 100 वर्षों में नहीं आई थी

संयम श्रीवास्तव कोरोना महामारी (Corona Pandemic) एक ऐसी विपदा बनकर सबके सामने आई जो बीते 100 वर्षों में नहीं आई थी. दुनिया के गरीब और छोटे देश तो इस महामारी से जूझ ही रहे थे, लेकिन उन देशों की भी हालत खराब थी जो अपने आप को तथाकथित विकसित और श्रेष्ठ बताते हैं. अमेरिका (America) और ब्रिटेन (Britain) में कोरोना से पीड़ितों और मरने वालों की संख्या की तुलना में भारत और विशेषकर उत्तर प्रदेश में स्थितियां काफी नियंत्रण में रही हैं. पर आश्चर्यजनक यह है कि यूरोप के अमीर समझे जाने वाले देश यूके, फ्रांस और जर्मनी में अभी भी हर रोज हजारों नए कोरोना मरीज मिल रहे हैं जबकि यूपी में दहाई अंक भी नहीं पूरे होते. शायद यही कारण रहा कि यूपी के कोरोना नियंत्रण के मॉडल को दुनिया भर में वाहवाही मिली है. हालांकि एक ऐसा भी मौका था जब दुनिया भर की मीडिया में कोरोना के नियंत्रण को लेकर यूपी गवर्नमेंट निशाने पर थी.

टीवी 9 ग्रुप के सीईओ बरुन दास कहते हैं कि, गवर्नेंस मोर्चे के हिसाब से देखें तो उत्तर प्रदेश सरकार को संभालना यूरोप के 3 सबसे बड़े देशों के गवर्नेंस संभालने के बराबर होगा. यूके, फ्रांस और जर्मनी की आबादी उत्तर प्रदेश की आबादी से कम है. यानि जो काम एंजेला मर्कल, बोरिस जॉनसन और इमैनुअल मैक्रों करते हैं वही काम योगी आदित्यनाथ अकेले करते हैं. लखनऊ मे आयोजित टीवी 9 के सत्ता सम्मेलन में बोलते हुए बरुन दास ने कहा कि मैं मानता हूं कि योगी आदित्यनाथ ने बीते साढ़े 4 सालों में जो किया वह हावर्ड के बिजनेस स्कूल का केस स्टडी बन सकता है.
उत्तर प्रदेश जिसकी आबादी है लगभग 24 करोड़, जहां आज प्रतिदिन 50 से भी कम कोरोनावायरस के केस आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिले तो अब पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो चुके हैं. मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में केवल 21 नए कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए. जबकि बीते सोमवार को यह संख्या महज 16 थी. वहीं अगर उत्तर प्रदेश की तुलना जर्मनी (8.41 करोड़), ब्रिटेन (6.82 करोड़), फ्रांस (6.54 करोड़) आबादी वाले श्रेष्ठ यूरोपीय देशों से करें, जिनकी संयुक्त आबादी तकरीबन 21.5 करोड़ है. जहां प्रतिदिन 50,000 से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उत्तर प्रदेश कहीं बेहतर स्थिति में नजर आता है. आइए जानते हैं ऐसा कैसे संभव हो सका.
फ्रांस, जर्मनी और यूके का अभी भी बुरा हाल
4 अक्तूबर तक के आंकड़ों की अगर बात करें तो यूपी से बहुत छोटे देश यूनाइटेड किंगडम में नए कोरोना मरीजों की संख्या 34 हजार 256 थी, जबकि मरने वालों की संख्या 33 थी. जबकि कुल मामले अभी तक 79 लाख से ज्यादा आए हैं और मरने वालों की संख्या 1.37 लाख के पार है. इसी तरह फ्रांस में कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है. फ्रांस में हालांकि नए मरीजों की संख्या बहुत कम 1138 है पर मरने वालों की संख्या (50) जो अभी भी यहां चिंता का विषय है. जबकि फ्रांस के अगर कुल कोविड मामलों को देखें तो यह संख्या 68 लाख के पार है और कोरोना से मरने वालों की संख्या भी यहां 1.14 लाख के पार है. यही हाल जर्मनी का भी है. कल तक के आंकड़े बताते हैं कि यहां नए मरीजों की संख्या 4507 है. जबकि मरने वालों की संख्या 89 है. वहीं अगर जर्मनी के कुल कोरोना मरीजों की संख्या पर गौर करें तो यह 42.55 लाख के पार है और यहां कोरोना से मरने वालों की तादाद 94 हजार के पार है. यूरोप के ये वो देश हैं जिन्हें अमीर और शक्तिशाली देश समझा जाता है. इन देशों के पास ज्ञान विज्ञान और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थित भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश के मुकाबले मीलों आगे है.
यूरोपीय देशों से बेहतर यूपी का वैक्सीनेशन मॉडल
कोरोना के मामलों या फिर कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में जहां उत्तर प्रदेश इन यूरोपीय देशों से बेहतर साबित हुई है. वहीं वैक्सीनेशन के मामले में भी यूपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है. अगर 5 अक्टूबर तक के वैक्सीनेशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि जहां जर्मनी, फ्रांस और यूके ने 5 अक्टूबर तक क्रमश: 10,81 करोड़, 9.45 करोड़ और 9.39 करोड़ वैक्सीन की डोज अपने नागरिकों को दी है. वहीं उत्तर प्रदेश ने 5 अक्टूबर तक अपने लोगों को 11 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज दे कर एक नया रिकॉर्ड बना डाला है. अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दस दिनों में भारत 100 करोड़ वैक्सीन लगाने के आंकड़ों को पार कर जाएगा.
24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में महज 158 सक्रिय कोरोना मरीज़
लगभग 24 करोड़ की आबादी वाले देश के सबसे बड़े राज्य में इस वक्त कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या महज 158 है. कोरोना के सक्रिय केस के मामले में देश में उत्तर प्रदेश का नंबर 26वें पायदान पर आता है. बीते 24 घंटे में पूरे प्रदेश में 1.36 लाख लोगों की कोरोना जांच की गई, जिसमें से केवल 16 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं. यह 16 संक्रमित प्रदेश के 8 जिलों से मिले हैं. जिसमें लखनऊ में सबसे ज्यादा 8 नए रोगी मिले हैं. झांसी में दो और प्रयागराज, अंबेडकर नगर, जौनपुर, बाराबंकी, फर्रुखाबाद व मैनपुरी में एक-एक कोरोना संक्रमित मिले हैं. प्रदेश में कुल अब तक 17.09 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. इसमें से 16.68 लाख लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की तादाद 22,894 है. प्रदेश के 68 जिलों में इस वक्त कोरोना के 5 से भी कम मरीज हैं.
टीम 11 और कोविड केयर फंड कोरोना कंट्रोल में मील का पत्थर साबित हुआ
कोरोना काल में यूपी मॉडल मिसाल बना है. जब हम देश के अन्य राज्यों में प्रभावित लोगों से यूपी की तुलना करते हैं तो पता चलता है कि महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली आदि से यूपी की स्थिति कितनी बेहतर रही. टीकाकरण अभियान में प्रदेश नंबर वन साबित हुआ है. टीम 11 बनाकर या फिर कोविड केयर फंड की स्थापना करके प्रदेश सरकार कई राज्यों से कोविड नियंत्रण में मीलों आगे निकल गई. कोरोना नियंत्रण के यूपी मॉडल की डब्ल्यूएचओ ने भी तारीफ की है.
'ट्रिपल सी' का शानदार मॉडल
'ट्रेस टेस्ट और ट्रीट' उत्तर प्रदेश के मॉडल ने कोरोनावायरस को कंट्रोल करने में सबसे अहम भूमिका निभाई. उत्तर प्रदेश सरकार निगरानी समितियों के जरिए हर रोज ग्रामीण क्षेत्रों में 8000 रैपिड रिस्पांस टीमों से एक लाख से अधिक कोविड सैंपल्स की जांच करवा रही है. सूबे के सभी 75 जिलों में इस वक्त 73 हजार से अधिक निगरानी समितियां 97941 गांव में काम कर रही हैं. इसके साथ टेस्टिंग पर जोर ने भी उत्तर प्रदेश को कोरोना के कहर से बाहर निकालने में काफी मदद की.
जब कोविड की पहल लहर आई थी तो उस वक्त उत्तर प्रदेश में टेस्टिंग के लिए एक भी लैब मौजूद नहीं था. लेकिन आज उत्तर प्रदेश हर रोज 4 लाख टेस्ट करने की क्षमता विकसित कर चुका है. प्रदेश में अब तक सात करोड़ से भी ज्यादा कोविड सैंपल्स की जांच की जा चुकी है. आपको याद होगा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उत्तर प्रदेश के लिए प्रतिदिन 32 हजार कोविड सैंपल जांच करने के मानक तय किए थे. लेकिन आज उत्तर प्रदेश प्रतिदिन 2.5 लाख से तीन लाख तक कोविड सैंपल्स की जांच रोजाना कर रहा है.


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